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पोखरी ब्लाक के नैल में दुवियाणा और कुलेन्डू गांव भूस्खलन की जद में

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   चमोली के विकासखंड पोखरी के नैल गांव के दुवियाणा तोक के ग्रामीण 8 साल से दहशत में रहने को मजबूर हैं। साल 2012 की आपदा में इस क्षेत्र में भारी भूस्खलन हुआ था जिसके चलते ग्रामीणों के मकानों पर दरार आ गईं।
 दुवियाणा तोक में 32 परिवार निवास करते हैं। भूस्खलन के कारण खतरा बना हुआ है।ग्रामीणों ने कई बार शासन प्रशासन को भूस्खलन होने से अवगत करा दिया है
 नैल गांव दुवियाणा तोक निवासी एडवोकट देवेन्द्र राणा ने बताया कि 1996 से लगातार मेरे द्वारा शासन प्रशासन को भूस्खलन की जानकारी दी गयी है लेकिन 2012 की आपदा के बाद से भूस्खलन बढ़ता जा रहा है इस पर अगस्त 2012 में  भूगर्भ वैज्ञानिकों के द्वारा 16 बिन्दुओं की रिपार्ट जिलाधिकारी को दी गयी है उसके बावजूद भी आज तक समस्या जस की तस बनी हुई है इस बार बारिश अधिक होने से घरों में दरार और जमीन धसकती जा रही है भूस्खलन का भारी खतरा बना हुआ है।
शिशुपाल सिंह, श्रीचंद सिंह,  महिताब सिंह,ताजबर सिंह, संदीप सिंह ने कहा मकानों के आगे ज़मीन धसकने से खतरे के साया में जी रहे हैं जब बारिश होती है तो  रात भर जगे रहते हैं। बारिश के दिनों भारी समस्या होती है।ग्रामीणों ने  आरोप लगाया कि भू-सर्वेक्षण विभाग ने अपनी रिपोर्ट शासन और जिला प्रशासन को सौपं दी है फिर भी कोई कार्यवाही नहीं हो रही है।
 क्षेत्र पंचायत सदस्य संतोष नेगी व ग्राम प्रधान संजय रमोला का कहना है दुवियाणा क्षेत्र की सर्वे भू संरक्षण विभाग ने किया है लेकिन अभी तक उचित कार्यवाही नहीं हुए हैं शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण ग्रामीण आज भी   खतरे की जद है
वहीं गुड़म ग्राम सभा के कुलेन्डू गांव के ऊपरी क्षेत्र में  भूस्खलन होने से  पूरा गांव खतरें जद में आ गया है
 सतेंद्र सिंह,सतेसिंह, देवेंद्र सिंह, अमरसिंह, ने कहा  सालों से भूस्खलन हो रहा है  शासन प्रशासन से कई बार गुहार लगाई है शासन प्रशासन द्वारा अनदेखा किया जा रहा है
 क्षेत्र के पटवारी विजय कुमार ने कहा जहां भी भूस्खलन हुआ है इसकी रिपोर्ट प्रशासन को भेजी गयी है।
प्रशासन का कहना है कि जो भी गांव आपदा से प्रभावित हैं पूर्व में उनकी सर्वे कर शासन को भेजी गई थी वर्तमान समय में दोबारा से सर्वें की जा रही है शासन के निर्देशानुसार आपदा प्रभावित गांवों के लिए काम किया जायेगा।