चमोली: जिला मुख्यालय गोपेश्वर में नमामि गंगे परियोजना के एसटीपी प्लांट में करंट लगने से हुई भालू की मौत पर केदार नाथ वन प्रभाग ने एसटीपी के देखरेख करने वाले विभाग जल संस्थान के अधिशाषी अभियंता एसके श्रीवास्तव, अवर अभियन्ता , सहायक अभियंता राहुल नेगी पर वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के अंतर्गत नामजद मुकदमा दर्ज किया।
बुधवार को जिला मुख्यालय गोपेश्वर में वैतरणी में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत संचालित एसटीपी प्लांट में करंट लगने से एक मादा भालू एवम शावक की दर्दनाक मौत हो गयी थी, जिसके बाद वन विभाग की टीम ने पाया कि किस तरह से सम्बंधित विभागों द्वारा लापरवाही बरती गई है, प्रभागीय वन अधिकारी केदारनाथ तरुण एस ने बताया कि जमीन पर जमीन में ट्रांफ़ार्मर रखा गया है जिससे आम जनमानस की जान को खतरा हो सकता है, कही भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजामात नही किये गए हैं। जांच में एसटीपी प्लांट को संचालित कर रहे जलसंस्थान के विभागीय अधिकारी कर्मचारियों की घोर लापरवाही सामने आई है, जिसके चलते प्लांट में एक मादा भालू ओर उंसके शावक की मौत हो गई है, भविष्य में इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति न हो इसके लिए विभाग ने एसटीपी संचालन कर रहे जलसंस्थान के अधिकारी कतमचारियो पर वन्य जीव सुरक्षा अधिनिय1972 के तहत नामजद कार्रवाई की गई इस दौरान उप प्रभागीय वन अधिकारी जुगल किशोर चौहान, वन बीट अधिकारी cm रावत मौजूद रहे।
इससे पूर्व भी विभाग की लापरवाही से चमोली एसटीपी में 16 लोगों की करंट हादसे में मौत हो गयी थी बावजूद इसके विभाग इस तरह की लापरवाही कर रहा है।
वन्य जीव सरक्षण अधिनियम 1972 में सजा के प्रावधान
अपराधों के लिए जिसमें वन्य जीव (या उनके शरीर के अंश)— जो कि इस अधिनियम की सूची 1 या सूची 2 के भाग 2 के अंतर्गत आते हैं— उनके अवैध शिकार, या अभ्यारण या राष्ट्रीय उद्यान की सीमा को बदलने के लिए दण्ड तथा जुर्माने की राशि बढ़ा दी गई है। अब कम से कम कारावास 3 साल का है जो कि 7 साल की अवधि के लिए बढ़ाया भी जा सकता है और कम से कम जुर्माना रु 10,000- है। दूसरी बार इस प्रकार का अपराध करने पर यह दण्ड कम से कम 3 साल की कारावास का है जो कि 7 साल की अवधि के लिए बढ़ाया भी जा सकता है और कम से कम जुर्माना रु 25,000/- है।