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गैरसैंण: कांग्रेस ने आयोजित किया सत्र, डॉ जीत राम मुख्यमंत्री, हेमापुरोहित बनी विधान सभा अद्ययक्ष

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गैरसैण: गैरसैंण में विपक्षी विधानसभा सत्र का हुआ आयोजन, विपक्ष ने सरकार को घेरा।

इंडिया गठबंधन के बैनर तले हुआ कार्यक्रम का आयोजन।

एक और जहां 26 फरवरी से देहरादून में विधानसभा का बजट सत्र आयोजित हो चुका है। वहीं दूसरी ओर इससे नाराज इंडिया गठबंधन ने गैरसैंण में सांकेतिक विधानसभा सत्र का आयोजन किया।
आपको बता दें कि गैरसैंण में विधानसभा सत्र कराने के नाम पर प्रदेश के माननीयों के हाथ-पांव ठंडे हो जाते हैं। बताया गया कि विधायकों ने ठंड का बहाना लेकर विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजा था कि देहरादून में ही विधानसभा बजट सत्र कराया जाए। जिसके बाद धामी कैबिनेट ने इस बार बजट सत्र गैरसैंण की बजाय देहरादून में कराने का फैसला लिया। इस फैसले के पीछे सरकार का तर्क है कि कई विधायकों ने बजट सत्र गैरसैण में ना कराकर देहरादून में कराने की गुजारिश की है। इसीके बाद से विपक्षी नेता सरकार पर हमलावर हैं। जबकि जानकारी के अनुसार विपक्ष के कुछ विधायकों ने भी सत्र देहरादून में ही कराने को लेकर पत्र में हस्ताक्षर किये थे। जिस पर विपक्ष पर भी सवालिया निशान खड़े होते हैं।

इंडिया गठबंधन के बैनर तले आज गैरसैंण के रामलीला मैदान में विधानसभा सत्र (प्रतीकात्मक) का आयोजन किया गया। इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका में हेमा पुरोहित ने सदन में आये प्रस्तावों पर कार्यवाही किये जाने की बात कही। सभी विपक्षी पार्टी के नेताओं की उपस्थिति गैरसैंण की उपेक्षा का संदेश देने में काफी हद तक सफल रही।

मंगलवार को गैरसैंण के रामलीला मैदान में आयोजित प्रतीकात्मक सत्र में गैरसैंण को स्थायी राजधानी घोषित करने,भू कानून,बेरोजगारी, महंगाई,अंकिता भंडारी हत्याकांड,भर्ती घोटाले,बदहाल स्वास्थ्य सेवायें,आंगनबाड़ी व आशा कर्यक्रतियों के मानदेय बढ़ोतरी,बिगड़ती कानून व्यवस्था सहित तमाम मुद्दे छाए रहे।

कार्यक्रम में नेता प्रतिपक्ष करन माहरा जहां सरकार पर जमकर बरसे वहीं सत्तापक्ष नेता जीत राम टम्टा अपनी ही सरकार की भद्द पीटते हुए नजर आये। उन्होंने कहा कि हमारे विधायकों को बहुत ठंड लग रही है जिस कारण हमने गैरसैंण में विधानसभा सत्र न कराये जाने का निर्णय लिया है। इस दौरान पक्ष व विपक्ष के तमाम नेता सरकार का विरोध करते हुए दिखे।

क्या बोले नेता⤵️

उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि आज प्रतीकात्मक सत्र चलाकर हमने सरकार को आइना दिखाने का काम किया है। कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है। वहीं राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं का मान रखा है। भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार गैरसैंण की उपेक्षा व अपमान करने का काम कर रही है। कहा कि भाजपा ने केवल चुनाव जीतने के लिए गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करने का काम किया है। कहा कि मुख्यमंत्री उन विधायकों की लिस्ट जारी करे जिन्होंने गैरसैंण में सत्र न कराये जाने को लेकर पत्र लिखा है। वहीं आरोप लगाया कि उत्तराखंड के इतिहास में भी यह पहली बार हुआ है कि नेता विपक्ष व सीनियर नेताओं को बुलाये बिना कार्यमंत्रणा की बैठक की गई व सदन को चलाने का काम किया गया। वहीं उन्होंने सत्र की अवधि को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के महेंद्र भट्ट के पहले कांग्रेस अपने विधायकों पर कार्यवाही करे फिर गैरसैंण जाये के बयान पर करन माहरा ने पलटवार करते हुए कहा कि महेंद्र भट्ट अब तक के सबसे बेकार विधायक रहे हैं जो अपने विधायक रहने के दौरान अपनी क्षेत्र की एक भी समस्या को सदन में नही उठा पाये। कहा कि उस समय अगर वो रैंणी का मुद्दा सदन में उठा लेते तो आज जोशीमठ भी आपदा के दंश से बच जाता।

विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका निभा रही कांग्रेस सेवा दल की प्रदेश अध्यक्ष हेमा पुरोहित ने कहा कि हमने यहां प्रतीकात्मक सत्र चला कर ठंड का बहाना बनाने वाली भाजपा सरकार को आइना दिखाने का काम किया है। कहा कि यहां भी आम जनता रहती है जब सरकार पहाड़ ही नहीं चढ़ेगी तो जनता के सुख दुख को कैसे समझ पायेगी। कहा कि सरकार को जनता के सरोकारों से कोई लेना देना नही है।

पूर्व विधायक कपकोट ललित फर्स्वाण ने कहा कि जब सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है तो अब यहां सत्र कराने के नाम पर क्यों भाग रही है। कहा कि गैरसैंण पहाड़ों दिल व आवाज है और हम पर्वतीय क्षेत्र लोग हैं यहां ठंडा भी होगा और बर्फ भी गिरेगी। कहा कि उत्तराखंड राज्य इसीलिये मांगा गया था कि पहाड़ों का विकास हो सके लेकिन भाजपा सरकार पहाड़ों के विकास से मुंह फेरने का काम कर रही है।

राज्य आंदोलन कारी हरेंद्र कंडारी ने कहा कि यहां भी लोग बारहों महीने रहते सरकार बताये की क्या उन्हें ठंड नही लगती। कहा कि सरकार ठंड का बहाना बनाकर गैरसैंण नही आना चाहती जो उत्तराखंड राज्य के लिए अपनी शहादत देने वाले राज्य आंदोलनकारियों का अपमान है।