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सादगी के साथ मनायी गई गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती

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  • सादगी के साथ मनायी गई गांधी जी एवं लाल बहादुर शास्त्री की जयंती
  • कोविड .19 में उत्कृष्ट कार्य करने वाले कर्मियों केा किया गया सम्मानित
  • शहीद पार्क में शहीदों को दी गई श्रद्धांजलि
  • पहाडी संग्रालय का किया उदघाटन

 

चमोली: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 लाल बहादुर शास्त्री का जन्म दिवस पूरे जनपद में श्रृद्धा एवं हर्षोल्लास के साथ सादगी से मनाया गया। सभी राजकीय भवनों, कार्यालयों एवं संस्थानों में राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया।

जिला कार्यालय परिसर में जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बापू जी व शास्त्री जी के चित्रों का अनावरण कर माल्यापर्ण किया और दुनियां में सामजस्य, सदभावना, अहिंसा, शांति को बढाव देने तथा भेदभाव को समाप्त करने की शपथ दिलाई। बापू के प्रिय भजन रघुपति राघव राजा राम का गायन कर उन्हें याद किया गया और बापू एवं शास्त्री जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया। जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी सहित अन्य अधिकारियों ने क्लेक्ट्रेट परिसर एवं कुण्ड काॅलोनी स्थित शहीद स्मारक पार्क में स्मारको पर माल्यार्पण कर शहीदों को नमन किया। इस अवसर पर क्लेक्ट्रेट परिसर में नवनिर्मित पहाड़ी संग्रहालय का उद्घाटन एवं जिले के विकास कार्यो पर आधारित, जिला सूचना कार्यालय चमोली द्वारा प्रकाशित ‘‘विकास पुस्तिका’’ का विमोचन भी किया गया। गांधी जंयती पर जिलाधिकारी ने कोविड महामारी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले साहसिक योद्वाओं के रूप में चिकित्सकों, स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पुलिस कार्मिकों को भी सम्मानित किया। वन विभाग के सौजन्य से घिघराण मोटर मार्ग पर ब्रह्मसैंण में पौधरोपण किए गए। जिला कारागार पुरसाडी में कैदियों तथा वृद्वाआश्रम में निराश्रित बुजुर्गो में फल वितरण किए गए। जिले के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों में भी गांधी जीवनदर्शन पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।

जिलाधिकारी ने अपने संबोधन में सभी को अपने जीवन में सत्य, अहिंसा, सदभावना तथा प्रेम को अपनाते हुए राष्ट्रपिता बापू के पद चिन्हों का अनुश्रवण करने को कहा। उन्होंने सभी को सादा जीवन, उच्च विचार, नैतिकता, भाईचारा जैसे आदर्शो को अपने जीवन में अपनाते हुए राष्ट्रपिता एवं शास्त्री जी के दिखाए सदमार्ग पर चलने की बात कही। कहा कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने दायित्वों का निर्वहन करना ही गांधी जी के प्रति सच्ची श्रद्वाजंलि होगी। उन्होंने जनपद के बहुमुखीय विकास के लिये सभी को मिल जुलकर कार्य करने का आवाहन भी किया। इस दौरान जनपद में विकास कार्यो पर आधारित एवं जिला सूचना कार्यालय चमोली द्वारा प्रकाशित ‘‘विकास पुस्तिका 2019-20’’ का विमोचन भी किया गया।
कोविड महामारी में उत्कृष्ट कार्य करने वाले साहसिक योद्वाओं को गांधी जयंती के अवसर पर जिलाधिकारी ने प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया।  स्वास्थ्य विभाग से डा0 भगवती प्रसाद पुरोहित, डा0 मानष सक्सेना, श्री पान सिंह बोरा, राजस्व विभाग से तहसीलदार राकेश देवली, उप निरीक्षक मोहन लाल, नायब नाजिर राजेन्द्र सिंह कनवासी, वरिष्ठ सहायक मनीष चन्द्र, पुलिस विभाग से महिला उप निरीक्षक पूजा मेहरा, कान्सटेबल मंजू बिष्ट, एपी मनोज चैहान, ग्राम्य विकास अधिकारी प्रकाश रावत, शिक्षा विभाग से प्रवक्ता सुबोध कुमार डिमरी व सहायक अध्यापक मनोज शाह, होमगार्ड प्रदीप सिंह को सम्मानित किया गया। नदी में बहते हुए अपनी मां की जान बचाने जैसे साहसिक कार्य के लिए तपोवन निवासी 17 वर्षीय किरन को वीरता पुरस्कार दिया गया।
गांधी जयंती के अवसर पर जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने पीजी काॅलेज गोपेश्वर की छात्राओं के साथ क्लेक्ट्रेट परिसर में नवनिर्मित ‘‘पहाड़ी संग्रहालय’’ का उद्घाटन किया। इस संग्रहालय में आने वालों को सदियों पुरानी परम्परागत पहाड़ी आभूषणों, पुरानी प्रचलित मुद्राओं और वर्तनों आदि की झलक देखने को मिलेगी प्रचीन धरोहर को संजोने के लिए जिलाधिकारी के अथक प्रयासों से क्लेक्ट्रेट परिसर में पहाड़ी संग्रहालय बनाया गया है। संग्रहालय का उद्घाटन करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि सीमांत जनपद चमोली पुरातनकाल में भारत-तिब्बत व्यापार का प्रमुख केन्द्र रहा है। यहाॅ की संस्कृति, आभूषण, वस्त्र, वर्तन इत्यादि हिमालयी एवं तिब्बती जीवनशैली का प्रभाव परिलक्षित होता है। इस संग्रहालय में रखी वस्तुएं इसी हिमालयी शैली का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि आम जनता को पुरातनकालीन जीवनशैली से परिचित कराने के उदेश्य से इस संग्रहालय को तैयार किया गया है।
पहाडी संग्रहालय में मुर्खली, चन्द्ररौली, पौंछी, सूर्य कवच, धागुला, हाॅसुला, राजस्थानी धागुला, झंवरी, स्यूंण-सांगल आदि आभूषणों संजोकर रखा है। यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित चमोली जिले के रम्माण उत्सव (सलूड डुंग्रा, जोशीमठ) के मिथकीय चरित्रों और घटनाओं को प्रदर्शित करने वाले मुखौटे संग्रहालय में संजोकर रखे गए है, जो प्रसिद्व रम्माण उत्सव में मुखौटा नृत्य शैली की झलक दर्शाता है। पहाड़ी संग्रहालय में प्रचीन भारतीय मुद्राओं एवं सिक्कों को भी संजोकर रखा गया है। जिसमें फूटी कौडी से कौडी, कौडी से दमडी, दमडी से धेला, धेला से पाई, पाई से पैसा, पैसा से आना और आना से रूपया बनने तक भारतीय मुद्रा की झलक प्रदर्शित करने का प्रयास किया गया है। पुरातनकालीन के अतिरिक्त ब्रिटिश भारत काल और स्वतंत्र भारत के समयकालीन सिक्के भी इसमें शामिल है।
जो पुरातनकाल में मूल्य मापक और वस्तु विनिमय का साधन रहे है। ये सभी मुद्राएं जिला कार्यालय के मालखाने से संग्रहालय में रखी गई है। पहाडी संग्रहालय में प्रचीनकाल में प्रचलित वर्तनों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है। यहाॅ पर काष्ट से बने परिया और कांसे से बने ग्लास, लोटा, थाली, कटोरा, खपर आदि कई प्रकार के वर्तनों रखे गए है। परंपरागत गढ़वाली काष्ठकला शैली में 8वीं शदी में निर्मित केदारशैली का मंदिर, देव पूजन में काम आने वाला एवं सोने-चांदी की पहचान करने वाला शालिग्राम पत्थर, देवपूजन के समय बजाए जाने वाले गढवाली वाद्य यंत्र भांकुरा की झलक भी संग्रहालय में देखी जा सकती है। संग्रहालय के बाहर पहाडी जीवनशैली की सुन्दरता को दर्शाता म्यूरल भी प्रमुख आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है। आज से यह संग्रहालय आम जनता के लिए खोल दिया गया है।