Home उत्तराखंड स्वर्गीय हेमवंती नन्दन बहुगुणा का राजनीतिक कौशल : हरीश पुजारी

स्वर्गीय हेमवंती नन्दन बहुगुणा का राजनीतिक कौशल : हरीश पुजारी

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25 अप्रैल को पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश केंद्रीय मंत्री माननीय स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा जी की 103वी जयंती है सारा देश उनको उनकी राजनीतिक कौशल के लिए आज भी याद करता है
हम स्वर्गीय बहुगुणा 1974 से 1976 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो पहाड़ों की विकास के लिए उनकी अनोखी वह कारगर योजना थी सर्वप्रथम उन्होंने गढ़वाल कुमाऊं कमिश्नरी के लिए केंद्र से अलग 400 करोड़ के बजट की व्यवस्था अलग अलग से की पर्वतीय विकास मंत्रालय निगम मंत्रालय बनाकर भावी उत्तराखंड राज्य की नींव रखी
पहाड़ों की नौनिहालों के लिए उन्होंने उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो व्यवस्था की वह अकल्पनीय है आज की युग में हमारी राजनेताओं को उनकी जानकारी तक नहीं है
उन्होंने सर्वप्रथम चमोली उत्तरकाशी पिथौरागढ़ सीमांत जिलों के लिए मेडिकल कॉलेजों वह इंजीनियरिंग कॉलेजों प्रवेश के लिए 5% आरक्षण की व्यवस्था की थी इसमें शर्त यह थी कि छात्रों की प्राथमिक शिक्षा इन्हीं जिलों से हो फिर कुछ समय के अंतराल के बाद इन्होंने पर्वतीय जिलों पौड़ी देहरादून नैनीताल अल्मोड़ा की छात्राओं को भी इसी प्रकार प्रवेश में आरक्षण प्रदान किया परंतु देहरादून यहां ऋषिकेश कोटद्वार हल्द्वानी नगरों के लिए जो व्यवस्था नहीं थी इसमें दुर्गम पहाड़ों में विषम परिस्थितियों में निवास करने वाले अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के अलावा सामान्य जाति के छात्रों के लिए भी उच्च शिक्षा प्राप्त करना आसान हो गया इतना ही नहीं इन छात्रों को पढ़ाई के लिए भी मेडिकल कॉलेजों व इंजीनियरिंग कॉलेजों में वजीफा भी मंजूर किया उनका मानना था कि पहाड़ों के लोग आर्थिक सामाजिक व शैक्षणिक प्रकार से पिछड़े हैं और उन्हें भी राष्ट्र की मुख्यधारा में आने का मौका दिया जाना चाहिए उनके इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में भी मैदानी क्षेत्र के लोगों द्वारा चुनौती दी गई थी परंतु बहुगुणा ने वकीलों की फौज को तैनात कर अपने फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की भी मुहर लगा दी
यह व्यवस्था वर्ष 1990 तक चली तदुपरांत मुलायम सिंह ने इस आरक्षण को हटा दिया परंतु बहुगुणा जी के निधन के बाद बहुगुणा विचार मंच ने इस अलख को जलाए रखा वर्ष 1994 से 95 में उत्तराखंड आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के राज्यपाल मोतीलाल बोहरा जी ने घुड़दौड़ी पंतनगर वह द्वाराहाट इंजीनियरिंग कॉलेजों में गढ़वाल कुमाऊं की लड़कों को 10 % समांतर आरक्षण दिया उसके बाद जनरल खंडूरी के प्रयासो से माननीय अटल बिहारी वाजपेई प्रधानमंत्री महोदय ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह को निर्देशित कर 1 जुलाई 1998 में राजज्ञा 1927/28- 10 -98 -15 ( 22) 95 जारी कर उत्तर प्रदेश में गढ़वाल कुमाऊं के छात्रों को उच्च शिक्षा में 27% आरक्षण की सुविधा प्रदान की जिसमें हजारों लड़की लड़कियां लाभान्वित हुए परंतु वर्ष 2000 में राज्य बनने के बाद यह कानून निरस्त हो गया अब वर्तमान में इस पर्वतीय राज्य में इस प्रकार के समांतर आरक्षण की बजाए नौजवानों को चुनाव मैं शराब व मुर्गी परोसे जा रहे हैं जो कि खेद जनक है बर्बादी की अग्रिम चेतावनी है
जागो अभी वक्त है
हरीश पुजारी
एडवोकेट
संयोजक गढ़वाल कुमाऊं बहुगुणा विचार मंच