Home उत्तराखंड केदार घाटी में देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांगको लेकर ...

केदार घाटी में देवस्थानम बोर्ड भंग करने की मांगको लेकर पर्यटन मन्त्री का पुतला दहन

28
0

केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों का मौन विरोध दूसरे दिन भी जारी
देवस्थानम् बोर्ड को निरस्त करने की मांग
तीर्थ पुरोहितों ने महाराज के बयान पर जताया आक्रोश
गुप्तकाशी में पर्यटन मंत्री का फूंका पुतला, वृहद आंदोलन छेड़ने की चेतावनी
रुद्रप्रयाग। देवस्थानम बोर्ड को तत्काल समाप्त करने को लेकर तीर्थ पुरोहित समाज श्री केदारनाथ ने गुप्तकाशी में पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज के देवस्थानम् बोर्ड पर पुनर्विचार ना होने के बयान को लेकर पुतला दहन किया। साथ ही शीघ्र बोर्ड के निरस्त ना होने की दशा में चारधाम तीर्थ पुरोहित समाज तथा हक हकूकधारियों ने वृहद आंदोलन छेड़ने की चेतावनी भी दी है। इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने उत्तराखण्ड सरकार तथा सतपाल महाराज के विरोध में नारेबाजी भी की। वहीं केदारनाथ में भी देवस्थानम् बोर्ड को भंग करने को लेकर तीर्थ पुरोहितों का मौन विरोध दूसरे दिन भी जारी रहा।
गुप्तकाशी में तीर्थ पुरोहितों ने कहा कि बोर्ड के गठन की अधिसूचना जारी होने के बाद से लेकर आज तक हकहकूकधारी विभिन्न स्थानों पर विरोध दर्ज कर रहे हैं, लेकिन सरकार के नुमाइंदे इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। कहा कि बिना हक हकूकधारी एवं तीर्थपुरोहितों को विश्वास में लिए इस बोर्ड का गठन किया गया। प्रदेश के मुखिया तीरथ सिंह रावत को प्रेषित ज्ञापन में कहा कि उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने उक्त बोर्ड पर पुनर्विचार के लिए एक बयान जारी किया था, लेकिन अभी तक उक्त दिशा में कोई भी कारगर कदम नहीं उठाया गया है। बोर्ड के लागू होते ही स्थानीय लोगों तथा हकहकूधारियों के हितों के साथ खिलवाड़ किया जायेगा। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। बोर्ड को निरस्त करने के बजाय इसका लगातार विस्तारीकरण किया जा रहा है।
वहीं दूसरी ओर देवस्थानम बोर्ड को निरस्त करने को लेकर केदारनाथ में दूसरे दिन भी तीर्थपुरोहितों का मौन विरोध जारी रहा। विरोध से पूर्व पंच पंडा रूद्रपुर श्री केदारनाथ सभा ने कहा कि उत्तराखंड की भाजपा नीत सरकार हिन्दू विरोधी है। बिना हकहकूकधारियों को विश्वास में लिये बोर्ड का गठन किया जाना चार धामों के लिये विनाशकारी कदम है। केदारनाथ धाम में आपदा के बाद से लेकर अभी तक उदक कुंड समेत कई अन्य धार्मिक मंदिरों का निर्माण नहीं किया गया, जबकि सरकार का ध्यान महज देवस्थानम बोर्ड के विस्तारीकरण में लगा है। जब तक बोर्ड को सरकार निरस्त नहीं करती है, तब तक केदारनाथ धाम में मौन विरोध लगातार जारी रहेगा।