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दत्तात्रेय जयंती सती माँ अनसूया मेला शुरू , देव डोलियां पहुची माँ के दरवार में।

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।दत्तात्रेय जयंती पर दो द्विवसीय सती माँ अनसूया मेला शुरू
देवियों की डोलियां माँ के दरबार में पहुंची

गोपेश्वर :धर्म , विस्वास और मान्यताओं का अनुष्ठान सती माँप अनसूया मेला विधि विधान के साथ सोमवार से आरम्भ हो गया है । दत्तात्रेय जंयती के अवसर पर होने वाले इस मेले में 6 देवियों की डोलियां भी सती मां अनसूया के मंदिर दरबार में पहुंची । हजारों वर्ष में ऐसा पहली बार हो रहा है जब मां अनसूया के मंदिर दरबार में दत्तात्रेय जयंती पर संतान कामना के लिये सामूहिक रुप से दम्पति अनुष्ठान नहीं कर पा रहे हैं । कोरोना संक्रमण से सतर्कता के चलते यह निर्णय लिया गया है ।

हर वर्ष दत्तात्रेय जयंती पर उत्तराखंड के प्रसिद्ध अनसूया मेले का आयोजन होता है । अनसूया माता के मंदिर में इस अवसर पर हजारों श्रद्धालु ही नहीं अलग अलग गांवों की आराध्य देवियों की डोलियां भी पहुंचती हैं। निसंतान दम्पति संतान कामना के लिये माता के दरबार में पहुंचते हैं । अनसूया मंदिर समिति के अध्यक्ष बी एस झिंक्वाण ने बताया इस बार कोरोना सतर्कता के कारण मेला उद्घाटन सादगी से हुआ । इस बार गत वर्षों की तुलना में कम संख्या में ही श्रद्धालु और मेलार्थी इस अवसर पर मौजूद रहे । देवियों की डोलियों के साथ केवल 12 लोगों को ही शामिल रहने की अनुमति मिली ।

सती मां अनसूया मंदिर के बारे में मान्यता है कि दत्तात्रेय जयंती ( अनसूया मेला ) पर माता के दरबार में संतान कामना की मनौती लेकर आने वाले दम्पतियों की मनोकामना अवश्य पूरी होती है । अनसूया मंदिर के पुजारी डाक्टर प्रदीप सेमवाल ने बताया इसी विस्वास पर इस अवसर पर भारत के विभिन्न क्षेत्रों से निसंतान दम्पति माता के मंदिर पहुंचते हैं । मंदिर समिति के अध्यक्ष बी एस झिंक्वाण ने बताया गत वर्ष 600 से अधिक दम्पति माता के दरबार में संतान कामना की मनौती के लिये आये थे । यहां इस अवसर पर मंदिर के सभा मंडप में दम्पति सामूहिक रूप से रात्रि जागरण और अनुष्ठान करते हैं । पर इस बार कोरोना की सतर्कता के कारण मंदिर सभा मंडप में बैठकर संतान कामना का जागरण और अनुष्ठान नहीं हो रहा है । प्रशासन और आयोजन समिति की बैठक मेंं यह निर्णय लिया गया ।