चमोली : मुख्यमंत्री नवाचार योजना के अंतर्गत गोपेश्वर महाविद्यालय में व्याख्यान श्रृंखला के तीसरे दिन विशेषज्ञों ने जैविक उत्पादों के प्रसंस्करण एवं विपणन संबंधी ज्ञान को प्रतिभागियों के साथ साझा किया।
नीरजा ने जैविक उत्पाद के विपणन प्रबंधन में ध्यान रखने योग्य बातों को बताया। उन्होंने SWOT नजरिए को अपनाते हुए प्रबंधन कार्य को करने की आवश्यकता पर बल दिया। SWOT के अंतर्गत उन्होंने बताया — स्ट्रेंथ, वीकनेस,
ओपरच्यूनिटी और थ्रेट।
इन कसौटियों पर जैविक खेती और बाजार विपणन प्रबंधन को कसा जाना चाहिए। तत्पश्चात, श्री राकेश गैरोला और प्रोफेसर नीलाभ भट्टाचार्य ने जैविक कृषि के उत्पादन में प्रसंस्करण की विधियों को बताया। उन्होंने माल्टे के उदाहरण से बताया कि किस प्रकार माल्टे के जूस के माध्यम से इसके बाजार क्षेत्र वृद्धि की गई। उन्होंने बताया कि जैविक खेती के प्रबंधन में प्रसंस्करण के माध्यम से उत्पाद को टिकाऊ और स्वास्थवर्धक बनाया जा सकता है। बुरांश, कंडाली, मडुआ आदि खाद्य एवं औषधीय पौधों के प्रसंस्करण से रोजगार सृजन किया जा सकता है तथा अच्छी आजीविका प्राप्त की जा सकती है।
व्याख्यान में प्रभारी प्राचार्य डॉ मनीष डंगवाल, नोडल अधिकारी डॉ अनिल सैनी, डॉ मनीष मिश्रा एवं डॉ राजेश मौर्य आदि उपस्थित रहे।