थराली।
इस वर्ष की श्री नंदा देवी लोक जात यात्रा 2021 का आगाज 31अगस्त से होगा जबकि यात्रा का समापन 20 सितंबर को होगा।
पिछले कई दशकों से प्रति वर्ष भादों मास के नंदा पक्ष में निकलने वाली बधाण पट्टी की कुल देवी की यात्रा जोकि नंदाधाम कुरूड़ (घाट) से आयोजित होती हैं और उसका समापन नंदा देवी का मामा कोट मानें जाने वाले सिद्धपीठ देवराड़ा (थराली) में नंदा की उत्सव डोली के 6 माह के लिए नंदा सिद्धपीठ के गृर्भगृह में बिराजमान होने के साथ ही समापन होता हैं।इस बार नंदा देवी की लोकजात यात्रा 2021 की शुरुआत 31 अगस्त से होगी। मंदिर समिति एवं आयोजन कमेटी कुरूड़,देवराड़ा के तय कार्यक्रम के अनुसार 31अगस्त को देवी यात्रा कुरूड़ सिद्धपीठ से शुरू होगी उस दिन यात्रा रात्रिविश्राम के लिए चरबंग पहुंचेगी, उसके बाद अगले दिन 1 सितंबर को यात्रा चरबंग से कुंडबगड़ होते हुए रात्रि प्रवास के लिए मथकोट पहुंचेगी,2 को मथकोट से धरगांव,घाट होते हुए रात्रिविश्राम के लिए उस्तोली,3 को उस्तोली से लांखी होते हुए भेटी,4 को भेटी से स्यारी बंगाली होते हुए रात्रिविश्राम के लिए थराली ब्लाक के बूंगा गांव पहुंचेगी,5 को बूंगा से सोलडुंग्री,6 को सोलडुंग्री से केरा,मैन होते हुए सूना,7 को सूना से थराली नगर क्षेत्र होते हुए चेपड़ो,8 को चेपड़ो से कोठी,धरातल्ला,धरामल्ला होते हुए बेराधार,9 को बेराधार से इच्छोली होते हुए फल्दियागांव,10 को फल्दियागांव से कांडे,पिलखड़ा,ल्वाणी,हरनी होते हुए मुंदोली,11 को मंदोली से लोहाजंग,कुलिंग होते हुए रात्रिविश्राम के लिए लाटूधाम वांण पहुंचेगी।12 को वांण से लाटूधाम के मंदिर,रणकाधार होते हुए निर्जन पड़ाव गैरोली पातल पहुंचेगी।13 को गैरोली पातल से प्रात: काल वेदनी बुग्याल जहां पर नंदा देवी की जात ( नंदा देवी की विशेष पूजा-अर्चना) पितरों को तर्पण सहित अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के साथ एक तरह से यात्रा का समापन होगा। इसके बाद यात्रा वापस देवराड़ा के लिए आ जाएंगी। उस दिन यात्रा बांक गांव में रात्रिविश्राम करेंगे।14 को यात्रा बांक से लोहाजंग,बगड़ीगाड़ होते ल्वाणी पहुंचेगी,15 को ल्वाणी से कांडे,बमणबेरा होते हुए उलंग्रा,16 को उलंग्रा हाटकल्याणी, देवाल होते हुए पूर्णा 17 को पूर्णा से चिड़िगा होते हुए जौला 18 को जौला से त्रिकोट,सेरा होते हुए बिजेपुर, 19 को बिजेपुर से तलवाड़ी होते हुए रात्रिविश्राम के लिए बैनोली गांव पहुंचेगी 20 सितंबर को यात्रा बैनोली से लोल्टी,तुंगेश्वर होते हुए सिद्धपीठ देवराड़ी पहुंचेगी जहां पर पूरे विधि-विधान के साथ नंदादेवी के उत्सव डोली को मंदिर के गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा और यही पर अगले 6 माह तक डोली की पूजा-अर्चना की जाएगी।
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