- उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप जांच कर कार्रवाई की उठाई मांग
गोपेश्वर। पोखरी ब्लॉक के जन प्रतिनिधियों ने केंद्र पोषित प्रधानमंत्री आवास योजना के आवंटन में विकास खंड कार्यालय की ओर से धांधली करने का आरोप लगाया है। जन प्रतिनिधियों ने मामले में उप जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर कर जांच कर कार्रवाई की मांग उठाई है। हालांकि विकास खंड कार्यालय के अधिकारियों के अनुसार अभी आवासों के आवंटन के लिये सूची तैयार की जा रही है। अभी तक आवासों का आवंटन नहीं किया गया है।
देश में बेहतर आवासीय व्यवस्था के लिये प्रधानमंत्री आवास योजना का संचालन किया जा रहा है। जिसके तहत सरकार की ओर कमजोर आर्थिकी वाले परिवारों को आवासीय भवन बनाने हेतु मदद दी जाती है। ऐसे में पोखरी ब्लॉक के जन प्रतिनिधियों की ओर से विकास खंड कार्यालय द्वारा धांधली कर अपात्र लोगों को योजना से लाभान्वित करने का आरोप लगाया गया है। क्षेत्र पंचायत सदस्य राधा रानी रावत, धीरेन्द्र राणा, राखी देवी, सन्तोष नेगी, ममता भट्ट, पूनम देवी, किरन देवी, सुभाष सिंह हरीश रावत, पुष्पा देवी का कहना है कि पोखरी विकास खंड कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों की ओर से भवनों के आवंटन में नियमों की अनदेखी कर अपात्र लोगों को आवासों का आंवटन किया जा रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से गरीब व कमजोर आर्थिकी वाले लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। जिसे लेकर जन प्रतिनिधियों ने तहसील प्रशासन से जांच कर कार्रवाई की मांग उठाई है।
विकाख खंड के गांवों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अभी पात्र व्यक्तियों का चयन कर सूची तैयार की जा रही है। अभी भवनों का आवंटन नहीं किया गया है। योजना के संचालन में नियमों का पालन किया जा रहा है। जिससे पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ मिल सके।
महेश प्रसाद वशिष्ठ, खंड विकास अधिकारी, पोखरी।
क्या है प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण)—–
प्रधान मंत्री आवास योजना ग्रामीण को पहले इंदिरा आवास योजना कहा जाता था। मार्च 2016 में इसका नाम बदल कर प्रधानमंत्री आवास योजना किया गया। योजना का लक्ष्य दिल्ली और चंडीगढ़ को छोड़कर पूरे ग्रामीण भारत के लिए किफायती और सुगम हाउसिंग को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य बेघरों को आर्थिक सहायता और पुराने घरों में रहने वालों को पक्के घरों के निर्माण में सहायता प्रदान करना है। मैदानी इलाकों में रहने वाले लाभार्थी रु. 1.2 लाख तक प्राप्त कर सकते हैं और उत्तर-पूर्वी, पहाड़ी क्षेत्रों, इंटीग्रेटेड ऐक्शन प्लान और दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले हाउसिंग के लिए रु. 1.3 लाख तक का लाभ उठा सकते हैं।