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पायलट सहित 19 विधायकों को राहत, स्पीकर के अयोग्यता नोटिस पर हाईकोर्ट का स्टे..

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विधानसभा स्पीकर की ओर से सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों को जारी नोटिस की वैधानिकता को लेकर पायलट खेमा हाईकोर्ट..

राजनीती : कानूनी दांवपेच में फंसे राजस्थान के सियासी संकट के बीच हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सचिन पायलट गुट को राहत देते हुए विधानसभा स्पीकर के आयोग्यता नोटिस पर यथास्थिति रखने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पीकर के नोटिस को स्टे कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि स्पीकर अभी बागी विधायकों पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकते, पहले का फैसला लागू रहेगा। इसका मतलब यह है कि स्पीकर कांग्रेस के बागी विधायकों को अयोग्य घोषित नहीं कर सकते।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि फिलहाल नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं होगी और आगे सुनवाई जारी रहेगी। इसी बीच राजस्थान के सियासी दंगल में शुक्रवार को केंद्र सरकार की एंट्री हो गई। हाईकोर्ट ने पायलट खेमे की ओर से केंद्र सरकार को पक्षकार बनाने के लिए दी गई अर्जी को भी स्वीकार कर लिया है। इसमें अब केंद्र का पक्ष सुना जाएगा। केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल आरडी रस्तोगी पक्ष रखेंगे। हाईकोर्ट ने माना याचिका मेंटिनेबल है, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है।

दरअसल, सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की याचिका पर स्पीकर डॉ.सी.पी जोशी ने पायलट सहित 19 विधायकों को 14 जुलाई को नोटिस जारी कर पूछा था कि क्यों न आपको विधानसभा से अयोग्य घोषित कर दिया जाए। इस पर पायलट सहित सभी 19 विधायकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी । सरकारी मुख्य सचेतक का कहना था कि व्हिप जारी होने के बावजूद 19 विधायक कांग्रेस विधायक दल की बैठक में शामिल नहीं आए।

स्पीकर इसलिए गए सुप्रीम कोर्ट

स्पीकर की दलील थी कि हाईकोर्ट उन्हें अयोग्यता कार्यवाही करने से नहीं रोक सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा लोकतंत्र में असहमति के स्वर दबाए नहीं जा सकते। असंतुष्ट विधायक भी जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। क्या वे असहमति व्यक्त नहीं कर सकते? ऐसे तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई 27 जुलाई को तय की है। इससे पहले अयोग्यता नोटिस पर 21 जुलाई को हाईकोर्ट ने अपना फैसला 24 जुलाई तक सुरक्षित रख लिया था। साथ ही स्पीकर से कहा था कि 19 विधायकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करे। लेकिन यह फैसला इस बात पर निर्भर करेगा कि स्पीकर की याचिका पर भविष्य में सुप्रीम कोर्ट क्या रूख अपनाता है।

अब तक कोर्ट में ऐसे चला घटनाक्रम

14 जुलाई: स्पीकर ने सचिन पायलट सहित 19 विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया और 17 जुलाई को दोपहर 1:30 बजे तक जवाब मांगा।

16 जुलाई: नोटिस के खिलाफ पायलट सहित 19 विधायक हाईकोर्ट चले गए। पीछे-पीछे व्हिप चीफ महेश जाेशी ने सरकार की तरफ से कैविएट लगा दी कि कोई भी फैसला किए जाने से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।

17 जुलाई: हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की और मामला दो जजों की बेंच में भेजा। इस बेंच ने 18 जुलाई को सुनवाई तय की।

18 जुलाई: अगली सुनवाई 20 जुलाई तय की और स्पीकर से कहा कि वे 21 जुलाई तक नोटिस पर कार्रवाई नहीं करें। स्पीकर ने भी इसकी पालना करते हुए कार्रवाई टाली।

20 जुलाई: हाईकोर्ट ने बहस पूरी न हो पाने के कारण कहा- 21 जुलाई को भी सुनवाई होगी।

21 जुलाई: हाईकोर्ट ने फिर मामले को सुना और फैसला 24 जुलाई के लिए सुरक्षित रख लिया। स्पीकर को भी तब तक के लिए कोई निर्णय नहीं करने के लिए कहा।

22 जुलाई: स्पीकर सीपी जोशी द्वारा हाइकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई। सचिन गुट ने भी कैविएट दर्ज कराई।

23 जुलाई: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इसमें उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट की सुनवाई को रोकने से इनकार कर दिया।

24 जुलाई: हाईकोर्ट ने स्पीकर के नोटिस को स्टे किया।

इन विधायकों को नोटिस दिया गया

सचिन पायलट, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पीआर मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला, हेमाराम चौधरी, विश्वेन्द्र सिंह, अमर सिंह, दीपेंद्र सिंह और गजेंद्र शक्तावत।