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बेदनी को संवारने में लगे है त्रिलोक सिंह बिष्ट

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आइये इनसे सीखें!– वेदनी को संवारने में जुटे हैं ‘त्रिलोक सिंह बिष्ट, भूस्खलन रोकने के लिये किये गये अभिनव प्रयास रंग लाये..
ग्राउंड जीरो से संजय चौहान!
मां नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में इस बार वेदनी बुग्याल के अभिभूत कर देने वाले सौंदर्य नें मन को मोहा तो वहीं कई लोगों से मिलने का अवसर मिला। ऐसे ही एक व्यक्तित्व से मिलने का अवसर मिला जो चुपचाप बडे शिद्दत से वेदनी बुग्याल को संवारने में जुटे हुयें हैं। वन विभाग के पूर्वी पिंडर रेंज देवाल ब्लाॅक में उप वन क्षेत्राधिकारी के पद पर कार्यरत त्रिलोक सिंह बिष्ट के भूस्खलन रोकने के प्रयासों का अवलोकन किया तो बेहद सुकुन मिला और धरातलीय परिणाम को देखकर बेहद खुशी हुई।

भूस्खलन क्षेत्रों में किये अभिनव प्रयोग!

वेदनी बुग्याल के आस पास बरसात के समय कई में कई बरसाती नालों में पानी ऊपर से नीचे की ओर ढलान में तेजी से बहता है। जिससे इन नालों में भू-स्खलन शुरू हो गया था। डिप्टी रेंजर त्रिलोक सिंह बिष्ट नें वेदनी बुग्याल में वेदनी कुंड के आस पास ऐसे भूस्खलन क्षेत्रों को चिन्हित करके उन जगहों पर भूस्खलन रोकने के लिए पहले वहां पर चैक डेम बनाये ताकि पानी के तेज बहाव को रोका जा सके फिर जूट की मेट बिछाई और वहां पर औषधि पादप कुटकी लगायी, जिसकी परिणति यह हुई की उस जगह पर बहुतायत मात्रा में घास और कुटकी उग आई

जिससे मिट्टी पर पकड मजबूत हुई, परिणामस्वरूप विगत तीन सालों से उन जगहों पर कोई भी भूस्खलन नहीं हुआ। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में वेदनी बुग्याल में त्रिलोक सिंह बिष्ट से वेदनी बुग्याल को लेकर लंबी परिचर्चा हुई, कहते हैं कि वे विगत 10 सालों से वेदनी बुग्याल में भूस्खलन रोकने की मुहिम में लगे हैं और वेदनी आली बुग्याल सहित अन्य जगहों पर लगातार स्वच्छता अभियान भी चलाते रहते हैं ताकि बुग्यालो में कूडा करकट, पालीथीन इत्यादि न रहे। इसके अलावा वे अपनी टीम के साथ वेदनी कुंड की सफाई भी करते हैं ताकि वेदनी कुंड में गंदगी न फैले और पानी का रिसाव न हो। उन्होंने वेदनी बुग्याल में भूस्खलन रोकने और अन्य कार्य के लिए विभागीय प्रस्ताव भी भेजे हैं ताकि वेदनी की सुंदरता हमेशा ऐसी ही बनी रहें। कहतें हैं कि विभागीय कर्मियों का भी उन्हें हमेशा से सहयोग मिलता रहा है। सभी लोग वेदनी की सुंदरता से काफी खुश दिखाई दिये। कहतें हैं कि जब भी कोई कार्य धरातल पर क्रियान्वित होता है तो उससे खुशी मिलनी स्वाभाविक है। मेरा उद्देश्य है कि जो एक बार वेदनी आये वो यहाँ की सुंदरता को देख दुबारा यहाँ आने को विवश हो जाय।

ये है वेदनी!

चमोली जिले में श्री नंदा देवी राजजात पथ पर वाण गांव से 13 किमी दूर पर स्थित वेदनी बुग्याल (मखमली घास का मैदान)। समुद्रतल से 13500 फीट की ऊंचाई पर स्थित ये बुग्याल बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। इसकी बेपनाह खूबसूरती लोगों का मन मोह लेती है।शइस साल वेदनी बुग्याल में जून से लेकर सितम्बर महीने तक असंख्य फूल खिले। हर पंद्रह दिन में वेदनी में नयें नयें फूल खिलते रहे। जुलाई मध्य में तो पूरा वेदनी बुग्याल गुलाबी रंगो के फूलों से अटी पडी थी। स्थानीय निवासी देवेन्द्र, हीरा सिंह गढ़वाली, लक्ष्मण सिंह बताते हैं कि 20 साल बाद वेदनी बुग्याल में इतने फूल खिले थे जिससे वेदनी की सुंदरता वापस लौट आई है। नंदा की वार्षिक लोकजात यात्रा में भी वेदनी बुग्याल की बेपनाह सुंदरता हर किसी को मंत्रमुग्ध कर गयी थी। जब वेदनी बुग्याल की सुंदरता रहेगी तभी पर्यटक यहाँ आयेगा।

वेदनी बुग्याल की ये है धार्मिक मान्यता!

वेदनी बुग्याल नंदा देवी व त्रिशूली पर्वत शृंखलाओं के मध्य स्थित खूबसूरत वेदनी कुंड का चमोली जिले के इतिहास में विशेष स्थान है। यह कुंड यहां की धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़ा हुआ है। प्रत्येक 12 साल में आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी राजजात के दौरान वेदनी कुंड में स्नान करने के बाद ही यात्री होमकुंड का रुख करते हैं। यहीं राजजात की प्रथम पूजा भी होती है। जबकि, प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाली श्री नंदा देवी की वार्षिक लोकजात यात्रा का भी वेदनी कुंड में ही समापन होता है। इस कुंड में स्नान करने के बाद मां नंदा को कैलास के लिए विदा किया जाता है।

वास्तव में देखा जाए तो डिप्टी रेंजर त्रिलोक सिंह बिष्ट के वेदनी को संवारने की अभिनव पहल अनुकरणीय है। हमें इनसे सीख लेनी की आवश्यकता है। ऐसे छोटे छोटे अभिनव प्रयासों से ही हम हिमालय और बुग्यालों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में मजबूती से आगे बढ सकते हैं।