Home उत्तराखंड एक ऐसा आंदोलन जो विेशेष था

एक ऐसा आंदोलन जो विेशेष था

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आंदोलन के वे पहलू जो इसे अन्य आंदोलन से अलग बनाते हैं
130 से अधिक दिनों तक चला आंदोलन
19कमी की मानव श्रंखला
26 जनवरी को त्रिरंगा यात्रा
हल,दारांति के साथ महिलाओं और स्थानीय लोगों का सडकों पर उतरना
दीवालीखाल में लाठीचार्ज
मुख्यमंत्री का बदलना
254 किमी की पद यात्रा
उत्तराखण्ड के सीमान्त जिला चमोली के विकास खण्ड घाट की हर छोटी समस्याओं के लिए लडने और सामाजिक धार्मिक कार्यक्रम को भव्य बनाने वाले युवाओं ने एक मुहिम छेडी जो थी विकास खंड घाट को डेढ लाइन सडक से जोडना, बस मन में जो ठान लिया उसे पूरा करने की मंशा के साथ विकास खंड घाट तिराहे पर अपनी दृढ इच्छा और मजबूत इरादों के साथ तम्बू गाड दिये, और लगातार आंदोलन में क्षेत्रीय जनता जुडती गई और आंदोलन का स्वरूप बढता गया,

ऐसे में सत्ता पक्ष के स्थानीय जनप्रतिनिधि कतराने लगे और कई ऐसे मौके आये जब स्थानीय स्तर के जनप्रतिनिधियों द्वारा आंदोलन को कमजोर करने की भी कोशिशें की गई प्रशासन द्वारा भी सरकार के दबाब के चलते आंदोलन पर दबाब बनाये जाने का भरसक प्रयास किया गया लेकिन ये आंदोलन कारी कुछे दूजे टाइप के थे, मन में एक जिद बस विकास नगर घाट को डेढ लाइन से जोडा जाय, ऐसे में अब आंदेालन और बढा होता जा रहा था, युवाओं की टीम शोशियल साइट के साथ गांव गांव में इस बाद को समझााने में सफल होते जा रहे थे कि विकास खंड घाट में जो आंदोलन जारी है वह जनहित का है। फिर पुतले दहन से लेकर धरना प्रदर्शन के बाद आंदोलन का एक ऐसा स्वरूप जो उत्तराखण्ड के इतिहास में शायद पहली बार हुआ होगा,


विकास खंड घाट से नन्दप्रयाग तक मानव श्रंखला के माध्यम से आंदोलन राज्य स्तर से राष्टीय मीडिया में भी चर्चा का विषय बन गया, और अब विपक्ष के नेता और अन्य राजनैतिक सामाजिक संगठनों से जुडे नेता भी इस इस मंच पर आने लगे और सत्ता पर सवाल उठाने लगे लेकिन आंदोलन कारियों ने सभी दलों और सामाजिक संगठनों का भव्य स्वागत किया लेकिन मंच को राजनैति मंच नहीं बनने दिया और किसी भी राजनैतिक दल के हाथ की कठ पुतली नहीं बने,
यहीं कारण रहा कि आंदोलन लगतार आगे बढता गया और धीरे धीरे मंजिल की ओर बढता गया।
इस बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत द्वारा कुमाउं के एक कार्यक्रम में घाट के आंदोलनकारियों का धन्यवाद करते हुए हर ब्लाॅक मुख्यालय को डेढ लाइन से जोडे जाने की घोषणा कर डाली लेकिन तकनीकी रूप से बहुत मजबूत आंदोलन कारियों की जिद शासनादेश पर अटक गई। जो सरकार नहीं कर पाई,

अगले चरण में आंदोलनकारियों ने विधान सभा कूछ किया, जहंा पर बजट सत्र के लिए पूरी सरकार पहुंची थी इस दौरान अपनी मांग को लेकर विरोध जता रहे आंदोलन कारियों पुलिस के बीच तीखी नोंक झोंक हुई और पुलिस द्वारा आंदेालन कारियों पर लाठीचार्ज किया गया, जिसमें कई महिलाएं बुजुर्गो और पुलिस के जवान भी चोटिल हुए, इस लाठी चार्ज के बाद सरकार और पुलिस की खूब किरकिरी हुई और कुछ दिन बाद सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र रावत हट गये और जिम्मेदारी मिली तीरथ सिंह रावत को। आंदोलन कारियों की आस बढ गईं ।

अगले चरण में आंदोलन के सूत्रधार रहे लक्षमण राणा के नेतृत्व में ओदालनकारी एक दिवसीय धरने के लिए जंतर मंतर दिल्ली पहुंच गये और वहां पर भी केंद्र सरकार से राज्य सरकार द्वारा की जा रही अनदेखी की शिकायत करते हुए गुहार लगाई।

सांसदों और विधायकों मंत्री से मुलाकात का दौर जारी रहा और आंदोलन लगातार आगे चलता रहा एक एक दिन जहंा लोगों को भारी लगता है लेकिन इस आंदोलन की खासियत यह रही कि आंदोलन और बडा होता चला गया।
चार माह बाद एक और विशेष तरीके का आंदोलन विकासखंड घाट के युवाओं द्वारा किया गया जिसमें विकास खंड घाट से देहरादून 254 किमी आंदोलनकारी 13 पडावों को पार करते हुए देहरादून पहुंचे, पैरों में छाले ये साबित करने के लिए काफी थे कि युवाओं की दृढ इच्दा सकती और जनसरोकारों को लेकर क्या सोच है।
जिसके बाद थराली विधायक ने आंदोलन कारियों की मांग को लेकर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से मुलाकात की, मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत द्वारा आंदोलन कारियों की मांग पर गंभीरता दिखाते हुए डेढ लाइन सडक निर्माण का आश्वासन दिया और आंदोलन कारियों द्वारा दिये गये सभी सुझावों पर हामि भरी, जिसके बाद मंगलवार को थराली विधायक मुन्नी देवी शाह भाजपा जिलाध्यक्ष रघुवीर बिष्ट विकास खंड घाट पहुंचे और आंदोलन कारियों को जूस पिलाकर आंदोलन तुडवाया।

इस आंदोलन में व्यापार संघ अध्यक्ष चरण सिंह, टैक्सी यूनीयन अध्यक्ष मनोज कठैत, लक्षमण राणा, प्रधान संगठन, बीडीसी मेम्बर, महिला मंगलदल बुजुर्गो द्वारा इस आंदोलन को मजबूती दी गई।