गोपेश्वर!ये दृश्य न तो किसी बेटी का मायके से ससुराल जानें का था, न 12 बरस में आयोजित नंदा देवी राजजात यात्रा में नंदा की डोली का कैलाश विदा होने का था और न ही किसी राजनैतिक पार्टी का बल्कि ये दृश्य सीमांत जनपद चमोली के घाट ब्लाक के सदूरवर्ती ग्रामसभा बूरा के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौंजुली (बूरा) का है। ये दृश्य विद्यालय में कार्यरत शिक्षक विक्रम सिंह रावत की विदाई समारोह का था। शिक्षक विक्रम सिंह रावत नें उक्त विद्यालय में 12 साल तक अपनी सेवायें दी। शिक्षक का 12 साल की राजकीय सेवा के बाद आदर्श विद्यालय नैनीसैण, ब्लाॅक कर्णप्रयाग में स्थानांतरण होने के अवसर पर आयोजित विदाई समारोह में पूरा गांव उमड पडा था। समारोह में हर कोई भावुक था। क्या बच्चे क्या बुजुर्ग, सबकी आंखों में आंसुओं की अविरल धारा बह रही थी। सबके चेहरे उदास नजर आ रहे थे, शिक्षक के तबादला होंने पर यहाँ से चले जाने का दुख साफ पढा जा सकता था। शिक्षक विक्रम सिंह रावत की जो विदाई हुई है वैसी विदाई हर कोई शिक्षक अपने लिए चाहेगा। ग्रामीणों और स्कूल के छात्र छात्राओ नें अपने शिक्षक को फूल मालाओं और ढोल दमाऊं, बैंड- बाजे, घोडे के संग कभी न भूलने वाली विदाई दी।
वास्तव में देखा जाय तो आज के दौर में किसी शिक्षक के प्रति छात्र छात्राओ और ग्रामीणों का ऐसा प्यार, स्नेह और आत्मीय लगाव दुर्लभ और यदा कदा ही नजर आता है। शिक्षक विक्रम सिंह रावत नें अति दुर्गम की नयी परिभाषा गढ़ डाली है जो शिक्षा महकमे सहित अन्य सरकारी सेवको के लिए नजीर है। विदाई समारोह में ग्रामीणों और स्कूल के छात्र छात्राओ व सहयोगी शिक्षको से मिले असीम प्यार और स्नेह से शिक्षक विक्रम सिंह रावत बेहद भावुक नजर आये, उन्होने कहा की ये उनके जीवन की अमूल्य निधि और असली जमा पूंजी व कमाई है जिसका कोई मोल नहीं है। छात्र छात्राओ और ग्रामीणों ने जो सम्मान दिया है उसका जीवनपर्यंत ऋणी रहूंगा। ये सम्मान मुझे नये कार्यस्थल पर नयीं ऊर्जा प्रदान करेगा।
नाज है ऐसे गुरूओं पर। हजारों-हजार सैल्यूट गुरूदेव।