उत्तरकाशी:हिमालयी क्षेत्रों के दुर्लभ वन संपदा काजल की लकड़ी को फिल्म पुष्पा के अंदाज में पुष्पा बनकर अवैध रुप से तस्करी करते हुये दो व्यक्तियों को आज प्रातः उत्तरकाशी पुलिस द्वारा पकडा गया है। श्री पी0के0 राय, पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी द्वारा जनपद में नशे पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने के साथ-साथ अन्य अवैध गतिविधियों की रोकथाम हेतु सभी क्षेत्राधिकारी/थाना प्रभारी/चौकी प्रभारियों को सतर्क रहकर रुटीन चैकिंग के निर्देश दिये गये हैं। जिसके क्रम में आज प्रातः 5-6 बजे के बीच एक सटीक सूचना पर डुण्डा पुलिस द्वारा वन विभाग बैरियर देवीधार से वाहन से दो तस्करों शरत सिंह व पेमा को प्रतिबन्धित काजल-काठ की लकड़ी की तस्करी करते हुये पकड़ा गया। वाहन उपरोक्त से 318 नग लकड़ी बरामद किये गये। ये लोग भटवाड़ी के सिल्ला क्षेत्र से इस प्रतिबन्धित लकड़ी को उत्तर-प्रदेश, सहारनपुर ले जा रहे थे, लेकिन पुलिस की सतर्कता ने इनको नाकाम कर दिया। गंगोरी बैरियर पर तैनात पुलिस जवानों द्वारा वाहन को रोकने की कोशिश की गई थी लेकिन ये लोग बैरियर को टक्कर मारकर वहां से भाग निकले, जिस पर वन विभाग बैरियर देवीधार पर जाल बिछाकर चौकी प्रभारी डुण्डा उ0नि0 संजय शर्मा के नेतृत्व में पुलिस बल द्वारा इनको दबोच लिया गया।अग्रिम विधिक कार्रवाई हेतु इनको प्रतिबन्धित लकड़ी के साथ वन विभाग के सुपुर्द किया गया।
वहीं पुलिस अधीक्षक उत्तरकाशी द्वारा बताया गया कि काजल की लकड़ी उच्च हिमालय के आरक्षित वन क्षेत्र में पाई जाती है। काजल औषधीय दृष्टिकोण से सर्वोत्तम मानी जाती है। इसे बौद्घ सम्प्रदाय के लोग इसके बर्तन (बाउल) बनाकर खाद्य एवं पेय पदार्थों के लिए इस्तेमाल करते हैं। भारत, चीन, तिब्बत, नेपाल आदि देशों में इस लकड़ी की तस्करी कर उच्च कीमतों पर बेचा जाता है। माल पकड़ने वाली पुलिस टीम की सराहना करते हुए उनके द्वारा टीम को 1100रु0/ का पारितोषिक प्रदान किया गया।
*बरामद माल 318 नग प्रतिबन्धित काजल की लकड़ी ( कीमत करीब-32 लाख रु0)