कर्णप्रयाग:डॉ शिवानंद नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग के इतिहास विभाग में कार्यरत डॉ वेणी राम अंथवाल गढ़वाली ओखाणो (गढ़वाली मुहावरे) के संरक्षण का प्रयास कर रहे है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक उत्तराखंड के लोक जीवन की समर्द्ध परंपरा औखाण (लोक कहावत) को एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज हो चुकी है। मूल रूप से अंथवाल गांव टिहरी के रहने वाले डॉ वेणी राम अंथवाल ने बताया कि उत्तराखंड अलग राज्य बनने के बाद उन्हें आस थी कि जिस प्रकार से पंजाब, चंडीगढ़ आदि प्रदेशों की स्थानीय भाषाओं को राज भाषा का दर्जा मिला है उसी प्रकार गढ़वाली भाषा को राजभाषा का दर्जा मिलेगा। लेकिन 20 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक गढ़वाली भाषा को राज भाषा का दर्जा नही मिल पाया है। जिससे कि गढ़वाली भाषा धीरे धीरे युवाओ के मुंह से गायब हो रही है। उनके द्वारा लिखी गई पुस्तक में 833 औखाणो को लिखा गया है जिसमें की गढ़वाल की कहावतों को समझाने का प्रयास किया गया है। उनका प्रयास है कि मॉर्डन बन रहे युवाओ को गढ़वाली भाषा का महत्व पता चल सके। और गढ़वाली भाषा को राज भाषा का दर्जा मिल सके।
Sign in
Welcome! Log into your account
Forgot your password? Get help
Password recovery
Recover your password
A password will be e-mailed to you.