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इगास पर्व पर होगा राजकीय अवकाश, मुख्यमंत्री ने सोशियल मीडिया के माध्यम से दी जानकारी

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देहरादूनः सूबे के मुखिया द्वारा ईगास के पर्व पर ट्वीटर से राजकीय अवकाश घोषित किये जानकारी दी, ईगास के पर्व पर राजकीय अवकाश घोषित किये जाने का लोगों ने स्वागत किया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने वीरवार को सोशियल मीडिया माध्यम से ईगास पर्व पर राजकीय अवकाश की घोषणा की, पहाडी क्षेत्रों में दीपावली के 11वें दिन के बाद बूढी दीपावली भव्य तरीके से मनाई जाती है राजकीय अवकाश न होने के चलते लोग इस पर्व को भव्य तरीके से नहीं मना पाते हैं, लेकिन जैसे ही मुख्यमंत्री ने ईगास को लेकर राजकीय अवकाश की घोषणा की लोगों ने सरकार के इस निर्णय की सराहना की।

ईगार पर्व को लेकर मान्यता है कि अमावस्या के दिन लक्ष्मी जागृत होती हैं, इसलिए बग्वाल को लक्ष्मी पूजन किया जाता है। जबकि, हरिबोधनी एकादशी यानी इगास पर्व पर श्रीहरि शयनावस्था से जागृत होते हैं। सो, इस दिन विष्णु की पूजा का विधान है। देखा जाए तो उत्तराखंड में कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से ही दीप पर्व शुरू हो जाता है, जो कि कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी हरिबोधनी एकादशी तक चलता है। इसे ही इगास-बग्वाल कहा जाता है। इन दोनों दिनों में सुबह से लेकर दोपहर तक गोवंश की पूजा की जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीराम के वनवास से अयोध्या लौटने पर लोगों ने कार्तिक कृष्ण अमावस्या को दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। लेकिन, गढ़वाल क्षेत्र में राम के लौटने की सूचना दीपावली के ग्यारह दिन बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को मिली। इसीलिए ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए एकादशी को दीपावली का उत्सव मनाया। मान्यता यह भी है कि गढ़वाल राज्य के सेनापति वीर भड़ माधो सिंह भंडारी जब दीपावली पर्व पर लड़ाई से वापस नहीं लौटे तो जनता इससे काफी दुखी हुई और उसने उत्सव नहीं मनाया। इसके ठीक ग्यारह दिन बाद एकादशी को वह लड़ाई से लौटे। तब उनके लौटने की खुशी में दीपावली मनाई गई। जिसे इगास पर्व नाम दिया गया।