2008 में सरकारी सेवा छोड़ने के बाद भी डा. कठैत ने नहीं किया मैदानी क्षेत्रों का रुख
गोपेश्वर । राज्य में चिकित्सक बनने के बाद युवाओं का मैदानी क्षेत्रों का रुख करना आम सी बात हो गई है। ऐसे में चमोली जिला मुख्यालय पर घिंघराण गांव निवासी डा. किशोर कठैत युवा पीढी को मातृभूमि की सेवा करने प्रेरणा दे रहे हैं। डा. कठैत ने वर्ष 2008 में सरकारी सेवा छोड़ दी थी। जिसके बाद से वे चमोली जिले में ही कार्य कर लोगों को भी बेहतर नेत्र उपचार की सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं।
चमोली के माणा-घिंघराण गांव निवासी डा. किशोर कठैत ने वर्ष 1997 में सरोजनी नायडू मेडिकल कॉलेज आगरा से एमबीबीएस की पढाई पूर्ण की। पढाई पूरी होने के बादएक वर्ष तक यूपी के जौनपुर में स्वयं सेवी चिकित्सालय में सेवाएं दी और वर्ष 2000 में स्वरुप रानी मेडिकल कॉलेज इलाहाबाद से एमएस की पढाई पूर्ण कर नेत्र चिकित्सक बने। डा. कठैत ने पढाई पूरी करने के बाद फरवरी 2002 में उन्होंने कोटद्वार में नेत्र चिकित्सक के रुप में सरकारी सेवाएं शुरु की। एक वर्ष तक कोटद्वार में सेवाएं देने के बाद उनक स्थानांतरण वर्ष 2003 में जिला चिकित्सालय गोपेश्वर हो गया है। यहां छह वर्षों तक सेवा देने के बाद 2008 में गोपेश्वर में आधुनिक सुवधाओं से लैस निजी नेत्र चिकित्सालय का संचालन शुरु कर दिया। जिसका वर्तमान भी वे संचालन कर रहे हैं। डा. किशोर कठैत की पत्नी पेशे से शिक्षिका है। उनका बेटा श्रेयांश जहां एमबीबीएस कर जौलीग्रांड में इंटरशिप कर रहा है। वहीं बेटी श्रेया बीडीएस कर रही है। ऐसे में शिक्षा और सुविधा का नाम लेकर चिकित्सकों के पहाड़ न चढने की भ्रांति को भी डा. कठैत ने तोड़ दिया है।
अपने गृह जनपद में चिकित्सकों की कमी को देखते हुए, घर पर रहते हुए सेवा का मन बनाया था। स्थानीय लोगों का सहयोग मिलने पर कभी मैदानी क्षेत्रों में जाने का विचार नहीं आया। वर्तमान में चमोली के साथ ही रुद्रप्रयाग, अल्मोड़ा और बागेश्वर जिलों से भी ग्रामीण उपचार के लिये पहुंच रहे हैं। जिससे जहां मातृभूमि की सेवा सुख मिलता है। वहीं जीवन यापन हेतु आय भी प्राप्त हो रही है।
डा. किशोर कठैत, नेत्र सर्जन, गोपेश्वर।