Home सोशल जंगली हिरण को औलाद की तरह पाल रहे दर्शन और उमा देवी

जंगली हिरण को औलाद की तरह पाल रहे दर्शन और उमा देवी

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पिछले 18 माह से औलाद की तरह पाल रहा एक दंपति जंगली हिरण (नेमोरहिडस गोरल) को।*

मानव और मनुष्यों का प्रकृति व वन्य जीवों से सदा से गहरा नाता रहा है।आज बात करते हैं एक गांव की जहां पर एक दंपति एक हिरण के बच्चे को पिछले 18 माह से औलाद की तरह पाल रहे हैं।
केवर गांव के दर्शन लाल और उनकी धर्मपत्नी उमादेवी के सराहनीय कार्य को ममता कहें या प्यार जिन्होंने इसका पालन किया है।आज यह हिरण यानी नेमोरहिडस गोरल अब बड़ी हो चुकी है तो इस दंपति ने इसे वन विभाग को सौंपने का फैसला लिया है।यह इस दंपति का समाज के लिए अनुकरणीय उदाहरण है। ऐसे समय में जब वन्य जीवों की तस्करी और अवेध शिकार करने की घटनाएं आम हैं।पर अब देखना है कि इस ममता और प्यार का मोल वन विभाग इस गरीब दंपति को देता है या नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा,लेकिन यह जरूर है कि वन्यजीवों के प्रति ममता और प्यार का नाता मनुष्य का जरूर रहा है।जो इस दंपति ने चरितार्थ किया है।


अब हम अपने दर्शकों को बताते हैं कि दर असल बात पिछले साल 4 मार्च 2020की है।जब केवर गांव की उमादेवी अपने जंगल में चारा पत्ति लेने गई थी।तब उन्होंने जंगल में एक नवजात हिरण का बच्चा पड़ा हुआ मिला।उमा देवी ने बताया कि उसने यह सोचकर उसे नहीं छेड़ा कि हो सकता है कि यह अभी पैदा हुआ है और इसकी मां भी यहीं कहीं होगी।वे कहती हैं जब वह दूसरे दिन भी घास लेने गई तो वह हिरण का बच्चा उसी स्थान पर बेसुध पड़ा हुआ था।तो वह घास काटना छोड़कर उसी समय उसे घर ले आई।और फिर उसको बच्चे की तरह पालने लगे।उसका बकायदा नाम जूली रखा गया।

 

उमादेवी के पति दर्शन लाल कहते हैं कि वह बचपन से ही उनके साथ सोती है,खाती है और रहती है।उनके बच्चों के साथ खेलती कूदती है।वह भावुक हो कर कहते हैं कि अब जूली बड़ी हो गई है।उसे अब आदिमियों के साथ दिक्कतें होंगी और जंगल में भी उसे नहीं छोड़ा जा सकता है क्योंकि वह जंगल की भाषा तो समझती ही नहीं होगी। उनके आंखों से आंसू छलक जाते हैं जब वह कहते हैं कि अगर जूली को सीधे जंगल में छोड़ा जायेगा तो वह बहुत आसानी से किसी का भी शिकार बन जायेंगी।और वन्य जीव अधिनियम के कारण वह जूली को अपने पास भी नहीं रख सकते हैं,तो उन्होंने वन विभाग से प्रार्थना की है कि अब जूली को अच्छे अभ्यारण्य में रखा जाये, जहां वह अपने संसार की बोली भाषा सीख सके। कहते हैं हमें जूली से बिघुडने का बहाव दुख तो होगा पर जूली को उसके परिवेश से अब जुदा भी नहीं रखा जा सकता है।इस दंपति के ऐसे महान कार्य की यहां चारों ओर प्रसंशा की जा रही है।और लोगों की मांग है कि ऐसे दंपति को सरकार की ओर से सम्मानित किया जाना चाहिए।

वहीं बद्रीनाथ वन प्रभाग के वन दरोगा मोहन प्रसाद सती ने कहा कि जूली को जल्दी ही किसी अच्छे स्थान पर सुरक्षा में भेजने की कार्यवाही शुरू की जा रही है तब तक जूली को उसको पालने वाले दंपति के पास ही रखने को कहा गया है