Home उत्तराखंड महादेव और कृष्ण से जुड़ी होली की कहानी

महादेव और कृष्ण से जुड़ी होली की कहानी

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चमोली: चमोली जिले के गांव में और नगरीय क्षेत्रों में अपने अपने तरीके से लोगों ने होली मनाई किसी ने अपने यार दोस्तों और रिश्तेदारों के बीच रंग गुलाल लगाकर होली की बधाई दी वहीं कुछ लोगों ने अपने अपने घरों में ग्रुप बनाकर होली का त्यौहार मनाया लेकिन एक ऐसी होली जिसका पूरे वर्ष भर कई होल्यार इंतजार करते रहते हैं जी हां हम बात कर रहे हैं चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर परिसर की होली की

पूरे देश में रंगों के त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया चमोली जिले की विभिन्न गांवों के साथ-साथ जिला मुख्यालय गोपीनाथ में भी लोगों ने एक दूसरे के घर में जाकर होली की बधाइयां दी इन सबके बीच सबसे आकर्षक मनमोहक होली उत्तराखंड के सीमांत जिला चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर परिसर में आयोजित होती है कई दशकों से गोपीनाथ मंदिर परिसर में होली का भव्य आयोजन किया जाता है गोपेश्वर गांव के महिला मंगल दल बुजुर्ग संघ और युवक मंगल दल इस आयोजन में सक्रिय भागीदारी करता है और नगर के हर घर हर परिवार से युवा महिलाएं बुजुर्ग गोपीनाथ परिसर में आयोजित इस होली का हिस्सा बनते हैं जिस तरह का माहौल और आपसी प्यार प्रेम परिसर में देखने को मिलता है वह सभी का मन मोह लेता है गोपेश्वर नगर की इस होली को देखने के लिए अन्य राज्यों से सरकारी कर्मचारी और इस दौरान क्षेत्र में बाहर से आए पर्यटक भी गोपीनाथ परिसर में होली का लुफ्त उठाने पहुंचते हैं

स्थानीय निवासी सुशीला सेमवाल का कहना है कि गोपीनाथ परिसर में आयोजित होली एक धरोहर है इस धरोहर को संजोए रखने के लिए हर युवा को जिम्मेदारी लेनी होगी क्योंकि आज जिस तरह से हम अपने तीज और त्योहारों को फूहड़ता और मजाक बना रहे हैं आने वाले समय में हमारे त्योहार विलुप्त हो जाएंगे इसके लिए हमें अपने बच्चों को अपने त्योहारों के बारे में गंभीरता से बताना होगा और त्योहार के वक्त पर इसके आयोजन किस तरह से होते हैं खुद भागीदारी करते हुए बच्चों को सीख देनी होगी वही शांति प्रसाद भट्ट पूर्व अधिकारी अधिशासी अधिकारी नगर पालिका गोपेश्वर बताते हैं कि गोपीनाथ इस भूमि में होली के आयोजन के लिए हिस्सा बनने का मौका उन्हें मिला इसको लेकर वह अपने को भाग्यशाली मानते हैं उनका कहना है कि कई वर्षों से भगवान गोपीनाथ की इस पवित्र भूमि में होली का भव्य आयोजन किया जाता है और भी अपने नई युवा पीढ़ियों से भी अपील करते हैं कि इस पारंपरिक और आध्यात्मिक होली को इसी तरह से भव्य बनाए रखेंगे उनका यह भी कहना है कि गोपीनाथ मंदिर परिसर में यह होली अपनी धार्मिक मेहता भी रखती है उन्होंने बताया कि एक बार जब भगवान कृष्ण गोपियों के साथ इस तरह नृत्य कर रहे थे तो महादेव से नहीं रहा गया और वे भगवान कृष्ण और गोपियों के बीच नृत्य में शामिल होने के लिए गोपी रूप लेते हैं लेकिन भगवान कृष्ण महादेव को सैकड़ों की संख्या में मौजूद गोपियों की भी पहचान लेते हैं और भगवान शिव को अपने असली रूप में दर्शन देने के लिए कहते हैं जिसके बाद 1 कृष्ण भगवान महादेव से कहते हैं कि इस पवित्र भूमि में आप की पूजा अर्चना गोपीनाथ के रूप में होगी आज भी यहां के लोग परंपरा को बनाए हुए हैं