Home उत्तराखंड चुनाव आते ही लोगों की जुबान से गायब हुआ भू-कानून का मुददा

चुनाव आते ही लोगों की जुबान से गायब हुआ भू-कानून का मुददा

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चमोलीः 2022 विधान सभा चुनाव को लेकर सभी दलों के नेता कार्यकर्ता अपने प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करने के लिए मेहनत कर रहे हैं सभी का एक ही मकसद है अपने अपने दल के प्रत्याशियों केा जीत दिलवाने के लिए जीत तोड मेहनत करना, कोई राष्टीय स्तर के मुददों पर तो कोई सरकार की नाकामियों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं,
कुछ समय पहले उत्तराखण्ड के युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शोसियल मीडिया के माध्यम से भू कानून जैसे मुददे को एक अहम विषय बना दिया था और गांव गांव से भू-कानून को लेकर आवाज उठने लगी थी, और नेताओं को भी ये लगने लगा था कि उत्तराखण्ड के युवाओं में राष्टीय स्तर मुददों के साथ साथ उत्तराखण्ड के भविष्य केा लेकर भी चिंताएं होने लगी है, और भू कानून को लेकर यही जिदद रही तो तो जनता के बीच वोट मांगते समय अन्य विषयों के साथ भू- कानून को भी घोषणा पत्र में रखना मजबूरी हो जायेगा। लेकिन जैसे ही चुनाव करीब आया आचार संहिता लगी, प्रत्याशियों ने नांमांकन किया, और सिम्बल मिले फिर पूर्व की भांति भाजपा के कार्यकर्ता और नेता केन्द्र की सरकार और मोदी जी के नाम पर जनता के बीच अपने पक्ष में वोट के लिए जा रहे हैं तो कांग्रेस और अन्य दल भाजपा की शासित केन्द्र और राज्य सरकार के नामामिंया गिनाते हुए जनता के बीच जा रही है। अब साल ये उठता है कि उत्तराखण्ड में अगर चुनाव हो रहे हैं 70 विधान सभाओं से अगर विधायक चुने जाने हैं, गांव गांव से लोगों ने मतदान करना है तो फिर उत्तराखण्ड के भविष्य को लेकर जिस भू कानून को अहम मुददा माना जा रहा था वह कहंा गायब हो गया, तो क्या केवल शोसियल मिडिया तक ही सीमित रह भू कानून का मुददा या फिर सच में भू कानून को लेकर कोई दल नेता गंभीर है।

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