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और अब सियासत में कदम रखेंगे डा रावत

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गोपेश्वर। विभिन्न नामी विश्वविद्यालयों के कुलपति रहे डा यूएस रावत अब सियासत में कदम रखेंगे। इसके चलते माना जा रहा है कि वे बदरीनाथ विधान सभा से उम्मीदवारी जताएंगे।
बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्र के सीमांत नीती घाटी के कोषा गांव के मूल निवासी डा यूएस रावत जनजाति परिवार से जुड़े रहने के चलते नंदप्रयाग के पास मंगरोली में ग्रीष्मकालीन प्रवास पर रहते हैं। भारत सरकार में प्रशासनिक अधिकारी के पद से उन्होने सरकारी सेवा की शुरूआत की। इसके बाद भारत सरकार में ही कृषि वैज्ञानिक के रूप में उन्होने तमाम शोध किए। डा रावत के हुनर को देखते हुए उन्हें बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के डिप्टी रजिस्ट्रार पद पर तैनाती मिली। बाद को उन्हें अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ का कुलसचिव बनाया गया। इस पद पर बेहतर प्रदर्शन के बाद एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के पहले कुलसचिव पद पर नियुक्ति का उन्हें अवसर मिला। इस पद पर रह कर उन्होने बेहतर सेवाएं दी और 2012 में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे।
श्रीदेव सुमन विवि के कुलपति पद पर उन्हें 7 साल सेवा करने का मौका मिला। उत्तराखंड चिकित्सा विश्वविद्यालय तथा उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में भी उन्होने सेवाएं दी। मौजूदा समय में वह श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन हैं। इस दौरान उन्होने 65 से अधिक रिसर्च पेपर भी बनाए। यही नहीं 10 पुस्तकें भी विभिन्न विषयों पर लिखी। राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी उन्हें अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने का मौका मिला। डा रावत उत्तराखंड रत्न अवार्ड, उत्तराखंड गौरव अवार्ड, उत्तराखंड विभूति सम्मान, श्रीदेव सुमन सम्मान समेत राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं। एक शिक्षाविद के रूप में अब भी वह श्री गुरू राम राय विवि को शैक्षणिक क्षेत्र में नई दिशा प्रदान कर रहे हैं। इस सबके बावजूद अब डा रावत ने सियासत में कदम रखने का मन बनाया है। इसके चलते वह आगामी 2022 के विधान सभा चुनाव में बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्र से अपनी उम्मीदवारी जताएंगे। डा रावत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। नौजवान पीढी के सामने प्रतिस्पद्र्धा के इस दौर में तमाम तरह की चुनौतियां हैं। इसलिए शैक्षणिक बेहतरी के जरिए ही नौनिहाल इस तरह की चुनौतियों से पार पा सकते हैं। वैसे भी पहाड़ों में शैक्षणिक माहौल बेहतर न होने के चलते ही युवा पलायन कर रहे हैं। इसलिए विधान सभा के जरिए पहाड़ों की शिक्षण व्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। यही नहीं रोजगारपरक शिक्षा को भी धरातल उतारने की चुनौती है। यह सब विधान सभा के जरिए ही संभव है। राजनीति की कठिन होती टेडी-मेडी चुनौतियों से संबंधित सवाल पर डा रावत का कहना है कि राजनीति निश्चित ही कठिन है किंतु एक शिक्षाविद के नाते भावी पीढी के भविष्य को देखते हुए इससे भागा नहीं जा सकता। उन्होने कहा कि उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है। आम लोगों के लिए कुछ करने की इच्छा शक्ति के चलते ही वह सियासत में कदम रखने जा रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि किस दल से चुनाव लडना पसंद करेंगे। इस सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि उत्तराखंड की सियासत के हिसाब से कोई प्रमुख राजनीतिक दल यदि उन्हें अपना उम्मीदवार बनाता है तो वह सहर्ष उम्मीदवारी स्वीकार करेंगे। यदि किसी राजनीति दल से उन्हें उम्मीदवारी नहीं मिली तो वे निर्दलीय मैदान में कूद जाएंगे। कहा कि सियासत में कूदने का मन बना लिया है तो आम जनता के सरोकारों से जुड़े सवालों को लेकर वह लोगों के बीच रच बस कर भविष्य की वैतरणी पार करेंगे। इस तरह रावत के सियासत में कदम रखने के ऐलान से बदरीनाथ विधान सभा क्षेत्र की सियासत में खलबली मचने के आसार बढ गए हैं। अब देखना यह है कि डा रावत किस तरह के सधे कदमों के साथ सियासत में कदम रखते हैं।