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खेल विभाग उत्तराखण्ड खेल माफिया की गिरफ्त में

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  • खेल नीति बनाने की प्रक्रिया में खिलाडियों और खेल संघों की अनदेखी से नाराज बालीबॉल संघ के पदाधिकारियों ने लगाया आरोप

गोपेश्वर। उत्तराखण्ड बालीबॉल संघ के पदाधिकारियों ने उत्तराखण्ड खेल विभाग के खेल माफियाओं के गिरफ्त में होने की बात कही है। यह बात उत्तराखण्ड बालीबॉल एसोशिएसन के सचिव हेम पुजारी व उपाध्यक्ष अशोक रावत ने बुधवार को गोपेश्वर में पत्रकारों से बात करते हुए कही।
गोपेश्वर में आयोजित पत्रकार वार्ता में हेम पुजारी और अशोक रावत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से खेल विभाग को खिलाड़ियों और खेल संघों के सुझाव के आधार पर खेल नीति बनाने के निर्देश दिये गये हैं। लेकिन विभागीय अधिकारियों की ओर से मनमाने तरीके से खिलाड़ियों और खेल संघों को दर किनार कर नीति बनाने के लिये बैठक का आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि खेल विभाग की ओर से 25 अगस्त को देहरादून में खेल नीति बनाने को लेकर बैठक आयोजित की गई। लेकिन बैठक में राज्य में पंजीकृत खेल संगठनों, ओलम्पिक खिलाड़ियों और खेलों राष्ट्रीय पुरस्कार विजेताओं को शामिल नहीं किया गया। जबकि बाहरी राज्य के लोगों और खेलों से कोई वास्ता न रखने वालों को शामिल कर बैठक की खानापूर्ति कर दी गई है। उन्होंने मामले में खेल विभाग के उप निदेश धर्मेंद्र भट्ट और उत्तराखंड ऑलम्पिक संघ के सचिव डा. डीके सिंह पर मनमानी करने का आरोप लगाया है। कहा कि जहां सरकार खेलों को बढावा देने के लिये संगठनों को पंजीकृत कर रही है। वहीं विभाग खेल नीति बनाने जैसे गंभीर विषय पर अपनी द्वेषपूर्ण सोच के चलते मनमानी कर रहे हैं। जिससे राज्य में खेलों के बेहतर भविष्य को लेकर बनाई जा रही खेल नीति को लेकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्होंने नीति बनाने की प्रक्रिया में शीघ्र सुधार न करने पर आंदोलन शुरु करने की चेतावनी दी है। इस मौके पर हेम दरमोडा, प्रकाश तिवारी, नवीन कुंवर आदि मौजूद थे।