Home उत्तराखंड औरंगजेब से जिसने गढ़वाल में करवाया जजिया कर माफ

औरंगजेब से जिसने गढ़वाल में करवाया जजिया कर माफ

66
0

मुगल वंश के शासन काल में हिंदू देसी रियासतों से धार्मिक कर के रूप में जजिया कर वसूला जाता था। किंतु गढ़वाल एकमात्र ऐसी देसी रियासत थी , जिसके राजदूत पुरिया नैथानी की पहल पर मुगल वंश के शासक औरंगजेब ने भी उदारता दिखाते हुए , संपूर्ण भारत की देसी रियासतों से जजिया कर लेना बंद कर दिया था । एक घटना के अनुसार 1668 में औरंगजेब के यहां दिल्ली में उसकी बहन रोशनआरा का विवाह था , जिसमें हिंदी राजाओंको भी आमंत्रित किया गया । तब गढ़वाल नरेश फतेह शाह ने पुरिया नैथानी को पारसी , अरबी और उर्दू का विशेषज्ञ होने के कारण विवाह समारोह में भाग लेने के लिए दिल्ली भेजा। विवाह के उपरांत जब औरंगजेब दरबार में देसी रियासतों के प्रतिनिधियों को भेंट उपहार देकर विदा कर रहे थे , तब पुरिया नैथानी ने औरंगजेब के समक्ष ये कहकर उपहार लौटा दिए कि, आपके अधीन मुस्लिम सेनापति और रजवाड़े हिंदू रियासतों के साथ अन्याय और शोषण करते हुए उनसे जजिया कर वसूलते हैं , जिसके आपकी छवि धूमिल हो रही है । इतना कहकर दरबार में सन्नाटा पसर गया ।

औरंगजेब ने तुरंत इस पर कार्यवाही करते हुए न केवल गढ़वाल से जजिया कर माफ कर दिया वरन , राजस्थान की हिंदू देसी रियासतों से भी जजिया कर वसूलना बंद करवा दिया था । इसके साथ ही पुरिया नैथानी की पहल पर औरंगजेब ने मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा तोड़े गए अनेक हिंदू मंदिरों को भी फिर से बनवाकर सौहार की एक मिसाल कायम की । सूत्र बताते हैं की देवलगढ़ के मन्दिर को भी औरंगजेब ने आर्थिक सहायता प्रदान की थी , जिसका एक पारसी में लिखित अभिलेख राज्य संग्रहालय, लखनऊ में सुरक्षित बताया जाता है । मुगल काल में गढ़वाल रियासत ऐसा एक मात्र राज्य था जो कभी भी , मुगल सत्ता के अधीन नही रहा । स्वयं औरंगजेब पुरिया नैथानी की विद्वता से इतना प्रभावित हुए की उसने पुरिया को चांदी और स्वर्ण आभूषणों से लाद कर गढ़वाल नरेश के लिए भी उपहार भेजे थे । औरंगजेब के इस अनछुए पहलू पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में भी शोध कार्य किया गया । सदभाव की यह मिसाल गढ़वाल के इतिहास का भी एक दुर्लभ प्रसंग बना हुआ है । पुरिया नैथानी का जन्म 1648 में ग्राम नैथाना , पौड़ी गढ़वाल में हुआ था । 1749 तक इनके जीवित रहने का उल्लखाय मिलता है । पुरिया नैथानी गढ़वाल वंश का प्रमुख सेनापति और राजदूत के रूप में उसकी ख्याति देशभर में फैली थी । एक बलशाली योद्धा होने के नाते उन्होंने न केवल गढ़वाल की सीमाओं को सुरक्षित रखा वरन साथ ही देसी रियासतों के बीच इनकी ख्याति बीरबल जैसी थी । इनका एक चित्र काल्पनिक रेखा चित्र और महाराजा फतेह शाह द्वारा कोटद्वार भाबर में दी गई जमीन की सनद का चित्र पाठकों के लिए साझा कर रहा हूं ।

Fb डॉ योगेश धस्माना