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नौजवानों ने हौंसलों के बूते पहली बार साइकिल से नापी पंच केदार की दुरुह दूरी

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  • अल्मोड़ा साइकिलिंग क्लब ने 27 सितम्बर को अल्मोड़ा से शुरु किया अभियान
  • नौजवानों की मुहीम ने राज्य साहसिक पर्यटन की सम्भावनाओं के खोले द्वार

गोपेश्वर। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है… इन पंक्तियों को हकीकत में तब्दील किया है। अल्मोड़ा साइकिलिंग क्लब के अजय सिंह, दिनेश सिंह दानू और गोपाल नेगी ने ऐसा ही एक काम कर कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। इन तीन जोशिले नौजवानों ने पहली बार राज्य के दुरुह क्षेत्रों में स्थित पंच केदरों की यात्रा साइकिल से पूरी कर ली है। यह पहली मर्तबा है जबकि किसी ने पंच केदार की यात्रा साइकिल से की है। अल्मोड़ा से चल कर करीब 1 हजार किलोमीटर की दूरी पार कर इन तीनों ने यह कीर्तिमान स्थापित किया है।
हिन्दू मान्यता के अनुसार भगवान शिव के प्रिय पंच केदार चमोली और रुद्रप्रयाग जिले के दुरुह क्षेत्रों में स्थित हैं। यहां पहुंचने के लिये यात्रियों को पैदल दूरी पार करनी होती है। लेकिन इन कठिन चढाई वाले धामों को अल्मोड़ा साइकिलिंग क्लब के तीन युवाओं अजय सिंह, दिनेश सिंह दानू और गोपाल नेगी ने साइकिल से पूरा कर राज्य में साहसिक पर्यटन की सम्भावनाओं के द्वार खोल दिये हैं। अजय सिंह, दिनेश सिंह दानू और गोपाल नेगी ने बताया कि बीती 27 सितम्बर को उन्होंने अल्मोड़ा से कोरोना की रोकथाम और बेटी बचाओ-बेटी पढाओ के लिये आम लोगों को जागरुक करने की मंशा से अभियान की शुरुआत की। कहा कि यह अभियान लगभग 22 दिनों बाद 16 अक्टूबर को अल्मोड़ा में सम्पन्न किया जाएगा। कहा कि अभियान जहां एक ओर सरकार की कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बालिका सुरक्षा की मुहीम को लोगों तक पहुंचाने का प्रयास है। वहीं इस अभियान से राज्य में साहसिक पर्यटन की सम्भावनाओं से देश और दुनिया के साहसिक पर्यटकों को रुबरु कराने का भी प्रयास है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिसके लिये सरकार के साथ ही स्थानीय युवाओं को भी प्रयास करने होंगे।

इन पड़ावों से होते हुए युवाओं के स्थानित किया कीर्तिमान
27 सितम्बर को अल्मोड़ा से रवाना हुआ साइकिल सवारों का दल कपकोट, बधियाकोट, मारतोली बुग्याल, घेस, बेदनी बुग्याल, वाण, कर्णप्रयाग, सोन प्रयाग होते हुए 4 अक्टूबर को केदारनाथ धाम पहुंचा। दूसरे चरण में ऊखीमठ होते हुए मध्यमहेश्वर मंदिर पहुंचे जहां से ऊखीमठ, चोपता होते हुए 6 अक्टूबर को तुंगनाथ और चंद्रशिला की यात्रा कर सगर होते हुए 10 अक्टूबर को रुद्रनाथ धाम पहुंचे। जिसके बाद सगर से हेलंग होते हुए 13 अक्टूबर को कल्पेश्वर होते हुए। 14 अक्टूबर को बदरीनाथ धाम पहुंच गये हैं।

क्या हैं पंच केदार
पंचकेदार नाम से ही स्पष्ट है कि पंच केदारों का समूह को पंच केदार कहा जाता है। पंच केदारों में शामिल केदारनाथ, मध्यमहेश्वर, तुंगनाथ, रुद्रनाथ और कल्पेश्वर मंदिर रुद्रपयाग और चमोली जिले में स्थित हैं। हिन्दू मान्यता के अनुसार जब महाभारत युद्ध के बाद पांडव गौत्र हत्या के पाप से मुक्ति के लिये केदारखंड में पहुंचे तो इस दौरान पांडवों को भगवान शिव ने इन स्थानों पर शरीर के अलग-अलग अंगों के दर्शन उन्हें दिये। जिन्हें हिन्दू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पंच केदार कहा जाता है।

कहाँ स्थिति हैं पंच केदार


केदारनाथ
केदारनाथ मंदिर समुद्र तल से ३५८३ मीटर की ऊँचाई पर है। गंगोत्री यात्रा के बाद केदारनाथ यात्रा का विधान है जो गंगोत्री से लगभग 343 किलोमीटर दूरी पर जनपद रुद्रप्रयाग में स्थित है यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है

तुंगनाथ
रुद्रप्रयाग और चमोली जिले के सीमा क्षेत्र में चोपता बुग्याल के समीप तुंगनाथ मंदिर समुद्र तल से ३६८० मीटर की ऊँचाई पर है।

रुद्रनाथ
चमोली जनपद में सगर गांव से करीब 19 किमी की पैदल दूरी पर रुद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से २२८६ मीटर की ऊंचाई पर है।

मध्यमहेश्वर
रुद्रप्रयाग जनपद की गौंडार घाटी में मध्यमहेश्वर मंदिर समुद्र तल से ३४९० मीटर की ऊँचाई पर है।

कल्पेश्वर
चमोली जिले की उर्गम घाटी में कल्पेश्वर मंदिर समुद्र तल से २२०० मीटर की ऊँचाई पर है।