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चमोली में कम बारिश से 20 फीसदी रोपाई वाली धान की खेती हुई प्रभावित

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चमोली में कम बारिश से 20 फीसदी रोपाई वाली धान की खेती हुई प्रभावित

——-कृषि विशेषज्ञ बुआई विधि से की जाने वाली धान की खेते के लिये बारिश की मात्रा को बता रहे बेहतर
गोपेश्वर। चमोली जिले में बीते वर्षों की अपेक्षा बारिश कम होने से जहां उमस भरी गर्मी पड़ रही है। वहीं कृषि के जानकारों के मुताबिक जिले में इस वर्ष असिंचित धान की अच्छी उपज होने के आस बनी हुई है। वहीं बारिश के कम होने के चलते जिले 20 फिसदी रोपाई विधि से होने वाली धान के खेती कुछ स्थानों पर प्रभावित हुई है।
चमोली जिले में ग्रामीणों की ओर से वर्तमान में कुल 32821 हैक्टेयर भूमि पर काश्ताकारी की जा रही है। जिसमें 17 हजार हैक्टेयर भूमि सिंचित है, जबकि 15,821 हैक्टेयर भूमि पर असिंचित खेती की जा रही है। ऐसे में जिले में 11 हजार हैक्टेर कृषि भूमि पर ही काश्तकारों की ओर से धान की खेती की जाती है। जिसमें से महज ढाई हजार हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती रोपाई विधि से की जाती है। जबकि 8 हजार 500 हैक्टेयर असिंचित भूमि पर बुआई विधि से धान की खेती की जाती है। जिसकी बुआई काश्कतारों की ओर से मार्च से अप्रैल में कर दी जाती है। ऐसे में कृषि विषेशज्ञों के अनुसार जिले में बुआई विधि से होने वाली खेती के लिये इस वर्ष हो रही बारिश बेहतर परिणाम देने वाली है। जबकि बीते वर्षों की अपेक्षा कम बारिश होने के चलते जिले में 20 फीसदी क्षेत्रों में रोपाई का कार्य पूर्ण नहीं किया जा सका है। हालांकि कृषि के जानकारों के अनुसार आगामी जुलाई अंत तक धान की रोपाई की जा सकती है। वहीं कृषि विषेशज्ञों ने इस मौसम में बोई जाने वाली मक्का, उरद और सोयाबीन जैसी फसलों के लिये भी बारिश को मुफीद बताया है।

जिले में बीते वर्षों की अपेक्षा बारिश कम होने से रोपाई विधि से होने वाली धान की खेती प्रभावित हुई है। लेकिन जिले में अधिकतर धान की खेती बुआई विधि से की जाती है। जिसके चलते इस वर्ष होने वाली बारिश जिले में धान की असिंचित खेती के लिये बेहतर परिणाम देने वाली साबित हो सकती है। दालों और मक्का की फसल के लिये भी बारिश आवश्यकता के अनुरुप हुई है।
डा. जीतेंद्र भाष्कर, अपर कृषि अधिकारी, चमोली।

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