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हाट गांव में पुलिस प्रशासन के साथ टीएचडीसी कम्पनी प्रबन्धन ने मकानों के किया ध्वस्तीकरण, जनप्रतिनिधियों को लिया हिरासत में

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पीपलकोटी: दसौली ब्लॉक के हार्ड गांव में विगत लंबे समय से कंपनी और ग्रामीणों के बीच चल रहे विवाद के बाद आज कंपनी प्रशासन और पुलिस के साथ प्रभावित गांव में पहुंची और गांव में रह रहे तेरा परिवारों को बलपूर्वक हटाकर मकानों के तुष्टिकरण का कार्य शुरू किया इस दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों में ग्राम प्रधान राजेंद्र हटवाल लिस्ट प्रमुख पंकज हटवाल को पुलिस ने सुबह ही हिरासत में ले लिया था और पुलिस प्रशासन के साथ कंपनी प्रबंधन के लोग 8 गांव में रह रहे लोगों को घर खाली करवाने के बाद एक-एक करके मकानों का ध्वस्तीकरण का शुरू कर दिया गया है
ग्राम प्रधान राजेंद्र अटवाल का कहना है कि कंपनी द्वारा ग्रामीणों के साथ जो समझौते किए गए थे उसमें कई काम ऐसे हैं जो कंपनी ने पूरे नहीं किए हैं और जिसके कारण आज भी ग्रामीण उन समझौतों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं और लगातार विरोध करने के बावजूद भी जिला प्रशासन की तरफ से जनप्रतिनिधियों को इस तरह उठाए जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और जनहित ओं को लेकर हुए इस लड़ाई को लड़ रहे थे ग्रामीणों की मांग है कि कंपनी ने जो समझौते ग्रामीणों के साथ किए थे वह पूरे होने चाहिए लेकिन उन समझौतों को पूरा मैं करने के बावजूद भी लगातार इस तरह से बलपूर्वक ग्रामीणों को खाली करवाया जा रहा है ऐसे में शासन और प्रशासन कंपनी हित में ग्रामीणों के हित को भूल गया है।

वही जेष्ठ प्रमुख पंकज हटवाल का कहना है कि इस तरह से प्रशासन जोर-जबर्दस्ती कर ग्रामीणों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ कर रहा है ग्रामीण आज भी केवल अपने मूल अधिकारों के लिए लड़ रहा है और विकास का कहीं भी कोई विरोधी नहीं

 

कांग्रेस के जिला महामंत्री प्रभाकर भट्ट ने भी मामले में खेद जताते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा जिस तरह से जनप्रतिनिधियों को उठाकर उठाया जा रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है और जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर जनप्रतिनिधि अगर संघर्ष कर रहे हैं उसके लिए शासन और प्रशासन को समाधान करने के लिए जनप्रतिनिधियों से वार्ता करनी चाहिए थी

 

 

पूर्व केबिनेट मंत्री राजेंद्र भंडारी ने कहा कि प्रशासन और कंपनी प्रबंधन को पहले प्रभावितों की मुआवजा देने की कार्यवाही के करनी चाहिए थी लेकिन जिस तरह से ग्रामीणों के साथ तानाशाही रवैया और दुर्व्यवहार किया जा रहा है यह दुर्भाग्यपूर्ण है उन्होंने प्रशासन और कंपनी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि जल जंगल जमीन स्थानीय लोगों ने देश के विकास के लिए दिया था अपने घरों को इस तरह जोर-जबर्दस्ती उजाड़े जाने के लिए नहीं