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उत्तराखंड क्रांति दल ने बेनीताल बुग्याल पर लगे निजी संपत्ति के बोर्ड को उखाड़ फेंका

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यहांउत्तराखंड में मजबूत भू कानून की मांग तेज हो रही है। लेकिन इस बीच बुग्यालों पर निजी संपत्ति के बोर्ड लगाने की खबरें भी सामने आई।
चमोली के बेनीताल बुग्याल पर जगह जगह निजी संपत्ति होने के बोर्ड लगे थे। लेकिन अब उत्तराखंड क्रांति दल ने ऐसे कथित कब्जों के खिलाफ़ मुहिम तेज कर दी है।
यूकेडी नेता उमेश खंडूड़ी (ukd uprooted personal land board in benital bugyal ) ऐसे कब्जों पर सख्त ऐतराज जताया है खंडूड़ी ने अन्य
साथियों के साथ बेनीताल बुग्याल पर लगे निजी संपत्ति के बोर्ड को उखाड़ फेंका है।

दरससल पिछले दिनों राज्य आंदोलनकारी मुकुंद कृष्ण दास उर्फ मनोज ध्यानी ने खुलासा किया था कि बेनिताल बुग्याल पर निजी कब्जा हो रहा है। ध्यानी ने फेसबुक पर
वीडियो के जरिए बताया था कि बुग्याल सरकारी संपत्ति होते हैं। वन विभाग की जमीन होती है। फिर भी यहां राजीव सरीन नाम के व्यक्ति ने निजी संपत्ति होने के बोर्ड लगा दिए हैं।
बुग्याल तक पहुंचने वाली कच्ची सड़क को भी ध्वस्त किया गया है।

हालांकि ये बात भी सामने आई थी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इस बुग्याल भूमि पर राजीव सरीन का कब्जा जायज ठहराया गया था। अब ऐसे कथित कब्जों के  खिलाफ उत्तराखंड क्रांति दल ने मुहिम छेड़ी है। यूकेडी नेता उमेश खंडूड़ीए पार्टी नेता केएल शाह व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ यहां पहुंचे। उन्होंने यहां उन सभी बोर्ड
को उखाड़ फेंका जिन पर लिखा थाए ष्यह निजी संपत्ति है।

उमेश खंडूड़ी का कहना है कि बेनीताल बुग्याल आसपास की ग्रामसभाओं की गौचर भूमि है। यहां बाहरी लोगों का कब्जा हो गया है।
1600 हेक्टयर जमीन पहाड़ियों के हाथ से निकलकर भूमाफियाओं के हाथों में गयी है। खंडूड़ी ने कहा कि खुद उनके परदादाओं के  समय से ये यहां के गांवों का गौचर क्षेत्र था तो कैसे ये जमीन किसी एक कि हो सकती है। यदि आज नहीं जागे तो पूरा पहाड़ बिक जाएगा।
उमेश खंडूड़ी का कहना है कि जमीन निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए आंदोलन करेंगे। ठीक वैसे ही जैसा आंदोलन उत्तराखण्ड के लिए बाबा मोहन उत्तराखण्डी ने किया था।