Home धर्म संस्कृति यहां गौरा को कैलाश से मायके बुलाने की है पम्परा

यहां गौरा को कैलाश से मायके बुलाने की है पम्परा

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धियाण गौरा को बुलाने भल्ला वंशजों के जातयात्री भगवती के ससुराल कैलाश हेतु रवाना।

भगवती गौरा को दिये वचन को निभाने भल्ला वंशजों ने भगवती गौरा को बुलाने के लिए कंडी छतोली च्यूड़ा भुज्योवा काकड़ी मुगरी स्थानीय उत्पादों समूण के साथ धियाण बहन बेटी गौरा के ससुराल के साथ जात यात्री जिसे स्थानीय भाषा में जातरू कहा जाता है शाम 3 बजे भूमिक्षेत्र पाल घंटाकर्ण के सानिध्य में श्री फ्यूलानारायण के लिए रवाना हो गया मैतितों ने अपनी लाड़ली के लिए समुण स्थानीय व्यंजन पारम्परिक उत्पाद की भेटूली भेज दी। जागर ढोल धमाऊ की थाप पर जात यात्री आज शाम 7 बजे फ्यूलानारायण मंदिर पहुंचेगी। नारायण के दरबार में जागर गायन भजन कीर्तन का आयोजन किया जाएगा।
कौन है भल्ला वंशज
देवग्राम में स्थित 40 नेगी परिवार भगवती गौरा देवी के जमाणी मैती है जहां भगवती गौरा बेटी के रुप में विराजमान हैं पंचम केदार कल्पेश्वर महादेव मंदिर भैरव बाबा के पुजारी एवं हक हकूकधारी है जो भगवती गौरा की पूजा अर्चना एवं परम्पराओं का निर्वहन करते हैं।

क्यों होती है भगवती गौरा की जात

उर्गम घाटी की आराध्य हिमालय पुत्री भगवती गौरी शिव के साथ भावुक पलकों के साथ मायके से वियवान कैलाश के लिए विदा हो जाती है शिव के साथ । पौराणिक परम्परा के अनुसार हजारों वर्षों से चली आ रही रीति रिवाज परम्पराये आज भी उर्गम घाटी की ग्राम पंचायत देवग्राम में मनाई जाती है। देवग्राम का गौरा मंदिर जहां भगवती बेटी के रूप में विराजमान है हर वर्ष चैत्र बैशाख की षष्ठी तिथि को भगवती की डोली जिसे जम्माण कहा जाता है गर्भगृह से बाहर निकाली जाती है और प्रतिदिन भगवती के फेरे क्रमश एक से आठ तक देवग्राम के गौरा मंदिर में होते है नवे दिन देवग्राम के आदिकेदार में श्री भूमियाल देवता घंटाकर्ण के सानिध्य में वैदिक रीति रिवाजों मांगलिक गीतों जागरों के साथ महेश्वर भोलेनाथ से भगवती का विवाह होता है। देवग्राम के नेगी परिवार जिन्हे स्थानीय भाषा में भल्ला कहा जाता देवी के मायके की भूमिका निभाते हैं जो देवी की जम्माण नौ दिनों तक फेरे करवाते है इस अवसर पर उर्गम घाटी की धियाणियां भगवती की विदाई के लिए मायके पहुचते है जो दूर दराज के क्षेत्रों से पहुंचती है और देवी को भैटूली स्थानीय उत्पाद च्युड़ा भुजली आदि देवी को दी जाती है। विदा होते समय लोगों की आंख से जलधारा निकल जाती है श्री भूमियाल देवता के गौरा धियाण को विदा करना मुश्किल हो जाता है समझा बुझा कर इस आशा के साथ कि तुझे जल्दी मायके बुलाया जायेगा। जब आली लाठी भादों मास की दूज की तीथ त्वै कू बुलोला लाडी मैंत । है पुत्री जब भादों महीने की दूज की तिथि आयेगी हम तुझे बुलाने तेरे कैलाश आयेंगे । हिमालय पुत्री गौरा का उत्तराखंड से अटूट सम्बन्ध है भगवती कहीं बेटी बहु धियाण मां के रूप में कण कण में विद्यमान है जिसे रिस्ते के रुप में सर्वाधिक प्रेम मिलता है।
इस अवसर पर पुजारी दरमान सिंह नेगी महिला मंगल दल देवग्राम हरकी रावत जातयात्री त्रिलोक सिंह नेगी गौरा देवी मंदिर समिति अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह नेगी हरि सिंह कंडवाल सतेश्वरी देवी समेत ग्रामीण मौजदू थे

रिपोर्ट रघुबीर नेगी