Home धर्म संस्कृति क्या होती ग्वाल पूजा कैसे होती है पूजा

क्या होती ग्वाल पूजा कैसे होती है पूजा

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रुद्रप्रयाग: हर वर्ष कि भांति इस वर्ष भी आज सावन महीने के रविवार को ऊखीमठ ब्लॉक के पर्यटन गांव/ देवरियाताल के बेस कैम्प सारी में ग्वल्या देवता (ग्वाल बालों के देवता) की पूजा संपन्न हुई।
बता दें कि परंपरा व रीति रिवाज के अनुसार गांव में ग्वल्या देवता की पूजा दूध, दही, घी व मख्खन से की जाती है। ग्वालों के रूप में बच्चे, युवक, युवतियां अपने-अपने घर से दूध, दही, घी, मख्खन मंदिर में ले जाकर देवता का लेप करते हुए सभी के घर में खूब दूध दही, घी का भंडार बना रहे, ऐसी प्रार्थना करते है।
देवता की पूजा को लेकर बच्चों में बडा उत्साह दिखाई दिया। गांव के बच्चे, युवक, युवतियां अपने- अपने घर से दोनला (रोट), दही, घी, मख्खन लेकर गांव से कुछ दूर स्थित देवता के मंदिर में जाते है। जहां पर सभी दूध, दही, घी, मख्खन देवता को चढाते हैं और घर, गांव की सुख शांति की प्रार्थना करते हुए सबके घर में दूध, दही घी का भण्डार बना रहे, की प्रार्थना करते है।
मंदिर परिसर में सभी अपने अपने घर से लाए हुए दूध, दही, घी, मख्खन, रोट आदि खाद्य सामग्री प्रसाद के रूप में आपस में बांट कर खाते हैं। यहां खास बात यह है कि जिस परिवार में दूध, दही, घी नहीं रहता है पूजा से पहले उनके घर जाकर अन्य लोग दूध, दही मख्खन उन्हें देते है और वह परिवार भी दूध, दही, मख्खन लेकर पूजा में शामिल हो जाता है। गांव के ग्वाड व नौडारू तोक में भी ग्वल्या देवता की पूजा संपन्न हुई।