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टिहरी डायट में भावी शिक्षको को हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दे रहे हैं रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल

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जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थान टिहरी में अध्ययनरत डीएलएड के छात्र छात्राओ को दे रहे है तीन दिवसीय प्रशिक्षण

रिंगाल मेन के नाम से प्रसिद्ध राजेन्द्र बडवाल, चमोली जनपद के रहने वाले है

टिहरी!

जिला शिक्षा एंव प्रशिक्षण संस्थान टिहरी में अध्ययनरत डीएलएड के छात्र छात्राओ को बेजोड हस्तशिल्पि राजेन्द्र बडवाल तीन दिवसीय रिंगाल के हस्तशिल्प का प्रशिक्षण दे रहे हैं। रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल की कला को देखकर प्रशिक्षु डीएलएड के छात्र छात्रा बेहद खुश और अचंभित नजर आ रहे हैं।

रिंगाल को दिलाई पहचान!

रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल नें अपनी बेजोड हस्तशिल्प कला से रिंगाल के विभिन्न उत्पादों और पहाड़ की हस्तशिल्प कला को नयी पहचान और नयी ऊँचाई प्रदान की है। चमोली, देहरादून से लेकर मुंबई सहित देश के विभिन्न राज्यों तक रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल के बनाये गये उत्पादों के हर कोई मुरीद हैं।पिछले साल राजेन्द्र नें रिंगाल से उत्तराखंड के पारम्परिक वाद्य यंत्र ढोल दमाऊ बनाकर एक नया अभिनव प्रयोग करके अपने हुनर का लोहा मनाया था। रिंगाल के ढोल दमाऊ के बाद रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल नें अपनी बेजोड हस्तशिल्प कला से रिंगाल से राज्य पक्षी मोनाल बना दिया। रिंगाल के मोनाल को देखकर हर कोई आश्चर्यचकित और हतप्रभ है। हर कोई रिंगाल मेन राजेन्द्र बडवाल की तारीफ कर रहें हैं।

कौन है राजेन्द्र बडवाल!

सीमांत जनपद चमोली के दशोली ब्लाॅक के किरूली गांव निवासी राजेंद्र बडवाल विगत 15 सालों से अपनें पिताजी दरमानी बडवाल जी के साथ मिलकर हस्तशिल्प का कार्य कर रहें हैं। उनके पिताजी पिछले 46 सालों से हस्तशिल्प का कार्य करते आ रहें हैं। राजेन्द्र पिछले पांच सालों से रिंगाल के परम्परागत उत्पादों के साथ साथ नयें नयें प्रयोग कर इन्हें मार्डन लुक देकर नयें डिजाइन तैयार कर रहे हैं। उनके द्वारा बनाई गयी रिंगाल की छंतोली, ढोल दमाऊ, हुडका, लैंप शेड, लालटेन, गैस, टोकरी, फूलदान, घौंसला, पेन होल्डर, फुलारी टोकरी, चाय ट्रे, नमकीन ट्रे, डस्टबिन, फूलदान, टोपी, स्ट्रैं, वाटर बोतल, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, पशुपतिनाथ मंदिर सहित अन्य मंदिरों के डिज़ायनों को लोगों नें बेहद पसंद किया और खरीदा। जिससे राजेन्द्र को अच्छा खासा मुनाफा भी हुआ। राजेन्द्र बडवाल की हस्तशिल्प के मुरीद उत्तराखंड में हीं नहीं बल्कि देश के विभिन्न प्रदेशों से लेकर विदेशों में बसे लोग भी है।